शिक्षिका उषा सागर की कविता- किस्मत
खुशियों से कभी झोली भर दे इतनी
जो संभाले नहीं संभलती हैं।
पलभर में छीन खुशियों को,
दुःखों के समन्दर में डुबो देती है।।
उठाकर सड़क से कभी तुम,
महलों तक पहुंचा देती हो।
कभी सितारों से भी जमीं पर,
खाक सड़कों की छनवा देती हो।।
कभी इतना ऊंचा उठा देती हो,
कि, जमीं नजर नहीं आती।
बहारों के आंचल में जब मशरूफ हो
मिलाकर ख़ाक में सब कुछ मिटा देती।। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
बदलकर पैंतरे पे पैंतरे तुम,
राजा को भिखारी बना देती हो।
खेलती हो खेल ऐसे-ऐसे कि,
सदाचारी को व्यभिचारी बना देती हो।।
गुलशन में नजर आती हो,
कभी गुलजार बनकर।
मिटा देती हो उसी को,
फिर खिजां बनकर।।
किस्मत के नाम से तुम ,
इस जहां में मशहूर हो।
बनाकर हर किसी को कठपुतली
कर देती तुम मजबूर हो।।
कवयित्री का परिचय
उषा सागर
सहायक अध्यापक
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गुनियाल
विकासखंड जयहरीखाल
जिला पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।