शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता-बच्चों के मन की पीड़ा
बच्चों के मन की पीड़ा
ये वक्त वक्त की बात है,
लगता नहीं कोई मेरे साथ है।
कलम स्याही कापी बस्ता,
नहीं अब कुछ मेरे पास है।
सब चुप क्यों है!
वाह!वाह क्या बात है।।
ब्लैकबोर्ड भी चुप क्यों है,
न गुरु शिष्य का अब साथ है।
मन मेरा रो रहा अब बहुत,
आखिर ये क्या बात है।
सब चुप क्यों हैं!
वाह! वाह क्या बात है।।
घंटी प्रार्थना की मधुर धुन,
राष्ट्रगान भी अब नहीं साथ है।
सुनेगें क्या कभी इनको,
कोई तो बताए क्या बात है।
सब चुप क्यों हैं!
वाह! वाह क्या बात है।।
बिना परीक्षा के पास हो गए हम,
नहीं किताबों का अब साथ है।
मां बाबा भी मूक बने हैं,
किससे पूछें क्या बात है।
सब चुप क्यों हैं!
वाह! वाह क्या बात है।।
पर हमारी अनसुलझी बातें,
सिर्फ क्यों हमारे ही साथ हैं।
कौन समझेगा हमारी पीड़ा,
नहीं दिखती अब कोई आस है।
सब चुप क्यों हैं!
वाह! वाह क्या बात है।।
हे प्रभु अब कुछ राह दिखा,
क्यों मेरे गुरु का अब नहीं साथ है।
गुरु के बिना प्रभु आप भी अकेले,
दूर कर ये सारे जो झमेले है।
सब चुप क्यों हैं!
वाह! वाह क्या बात है।।
हे! प्रभु अब इतनी तो दया कर दे,
तेरी दया क्यों नहीं मासूमों के साथ है।
लांछन लगेगा तुझ पर हे! मेरे दाता
सभी कहेंगे इसमें तेरा ही हाथ है।
सब चुप क्यों हैं!
वाह! वाह क्या बात है।।
क्या बात है? क्या बात है?
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर