शिक्षक श्याम लाल भारती की कविता- प्रभु तेरा हम पर एहसान होगा
प्रभु तेरा हम पर एहसान होगा
समय लगेगा जरूर यहां पर,
प्रभु का हम पर एहसान होगा।
बुरे दौर से जो, गुजर रही जिंदगी,
आने वाला पल जरूर वरदान होगा।।
माफ कर दे प्रभु हम सबको,
तभी ये सुंदर जहान होगा।
इस सुंदर प्रकृति को बचाए रखना
तेरा हम पर ये बड़ा एहसान होगा।
गलती खता माफ कर दो सबकी,
जिंदा तभी तो यहां इंसान होगा।
इंसान ही न रहा धरती पर तो,
तेरा भी नहीं कोई नामोनिशान होगा।
इंसान ही न रहा इस प्रकृति में तो,
खाली यहां शमशान ही होगा।
मेरा क्या मिट जाऊंगा खुशी खुशी
शीश झुकाने वाला कोई न होगा।।
धरती थमी रहेगी तभी यहां पर,
जब धरती पर इंसान ही होगा।
बस अब और नहीं सहना प्रभु हमको,
अब तुमको ही कुछ करना होगा।।
माना यहां कसूरवार है इंसान,
कोई तो इनमें बेगुनाहगार होगा।
उसका क्या कसूर मेरे प्रभु बता,
उसके लिए तू ही गुनहगार होगा।।
मानता हूं पाप बहुत इस धरती पर
पापियों का ही तुझे विनाश करना होगा।
न पिसे पाप की चक्की में बेगुनाह गार,
लगता तेरे न्याय से वो निराश न होगा।।
यकीन है मुझे अब तेरा हम पर,
बहुत बड़ा एक एहसान होगा।
हाथों तेरे ही शत्रु कोरोना अब
धरती पर ही बेजुबान होगा।।
अभी भी बख्श दे अपने बंदों को,
तभी तेरे आगे शीश झुकाने वाला होगा।
क्षमा कर दे जीव जगत को प्रभु,
जीव ही अब शीश झुकाने वाला होगा।।
शीश झुकाने वाला होगा।
शीश झुकाने वाला होगा।।
कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
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