शिक्षक एवं कवि श्याम लाल भारती की कविता-न जानें इंसान क्यों बदल गया

न जानें इंसान क्यों बदल गया
न धरती बदली, न आसमान बदला।
न चांद बदला, न सूरज बदला।
न तारे बदले, न सितारे बदले,
तो फिर क्यों?
बदल गया इंसान।।
न हवा बदली, न आंधी बदली।
न वर्षा बदली, न बादल बदला।
न नाले बदले, न नदियां बदली,
तो फिर क्यों?
बदल गया इंसान।।
न फूल बदले, न फल बदला।
न जल बदला, न थल बदला।
न मिट्टी बदली, न अन्न बदला,
तो फिर क्यों?
बदल गया इंसान।।
न पहाड़ बदले, न पर्वत बदला।
न हिमालय बदला, न बर्फ बदला।
न एंडीज बदला, न एवरेस्ट बदला,
तो फिर क्यों?
बदल गया इंसान।।
न नक्षत्र बदले, न ग्रह बदले।
न धुव्र तारा बदला, न दिशाएं बदली।
ना ही सप्तऋषि मंडल बदला,
ना ही उल्का पिंड बदले।
तो फिर क्यों?
बदल गया इंसान।।
आखिर क्यों क्यों क्यों?
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत सुन्दर रचना?