शिक्षक एवं कवि रामचन्द्र नौटियाल की कविता-हंसना सिखाया मुझे
हंसना सिखाया मुझे
पहाड की इन वादियों ने
रोना सिखाया
दुनिया के दर्द ने
जीना सिखाया
गुरु की अनन्त प्रेरणा ने
त्याग सिखाया
अतीत के गौरव ने
इस मुकाम की पंक्ति
में खडा किया
माता-पिता गुरु और
बडों के आशीर्वाद ने
आध्यात्म की छाया
पिता के कर्मों से
करुणा मिली मां के
उन आंसुओं से
इस दर्द भरी दुनिया
में आंसू को पोछने वाला
विरला ही मिलता है कोई
रुलाने वालों की यहां
कोई कमी नहीं
अपनत्व याद रहेगा
हमेशा उनका
जो सभी के दर्द
को साथ लिए
चलते थे
अपना दर्द तो
हर कोई साथ लेकर चलता है
यौवन में ही चल बसे
अकेलेपन व आपत्ति
में याद आयें बार-बार
स्वर्णाक्षरों में नाम
अमर हो
यादों के पन्नों में
हंसना सिखाया मुझे
पहाड की इन वादियों ने
रोना सिखाया
दुनिया के दर्द ने
कवि का परिचय
रामचन्द्र नौटियाल राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय गड़थ विकासखंड चिन्यालीसौड, उत्तरकाशी में भाषा के अध्यापक हैं। वह गांव जिब्या पट्टी दशगी जिला उत्तरकाशी उत्तराखंड के निवासी हैं। रामचन्द्र नौटियाल जब हाईस्कूल में ही पढ़ते थे, तब से ही लेखन व सृजन कार्य शुरू कर दिया था। जनपद उत्तरकाशी मे कई साहित्यिक मंचों पर अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।