Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

April 17, 2025

Poet and litterateur

कासी-कोत्वाळ कासि कु- कोत्वाळ बड़ि कन डरांद जिंदगी. सयूं-सयूं धरु-धरु लिजै, कन रुलांद जिंदगी.. आज कु दिन-कनु कटे, भोळ की...

अबकु-तबकु बच्पना घर भितर घुटि रै आंद, अब जमना बच्चों बच्पना. मोबैल म गुमसुम रांद, अब जमना बच्चों बच्पना.. दाजी...

वर्डसप कि दुन्या वर्डसप कि दुन्यम , कतगा बानी-लिख्वार छन. क्वी कविता-कानी-चुटकला, क्वी-गितार छन.. क्वी छुयाळ, क्वी भलि-भलि बतौं का...

मिं पुरणु बग्त छुं एक-हैंका नजरोंम, अबि बि-मिं अकरु छूं. चंदी भौ-मुलौं कबि, अबत-फट्यूं चदरु छूं.. समै का दगड़ि, घटदि-...

पितरौं-श्राद्ध श्राद्ध ऐगे- श्राद्ध ऐगे, बच्चों मेरी- याद ऐगे. चार निसरौ-मेरा नवां, निकाऴि खांदा धरेगे.. सालभर म एक दिन, मेरा...

गाड-गदिनु बसगाऴ- बोगदि गाड, गौंक छाल-छाल. कन करद- स्वीस्याट, गौक छाल- छाल.. गदिनु- बड़ि जांद- गाड, रोलि नी- तरेंदि, बगि...

You cannot copy content of this page