कवयित्री शर्मिष्ठा के काव्य संग्रह ‘एक हलफनामा’ का लोकार्पण शनिवार सायं देहरादून स्थित दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के सभागार...
Literature
हाय रे न्याय व्यवस्था मेरे मुल्क की ये क्या हो गयी, निर्दोष मर गया और ये दुनिया निर्मोही हो गयी,...
ये जो मैं तुमको सरल और सहज दिख रहा हूँ, आज के इस महेंगे समाज में बड़ा सस्ता बिक रहा...
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को मुख्यमंत्री कैम्प कार्यालय स्थित मुख्य सेवक सदन में प्रकाश सुमन ध्यानी...
आंखों से बहा आंसु नहीं होता महज़ पानी होता है असहनीय पीढ़ा का आंखों से छलक जाना होता है भावनाओं...
लो जी फिर उठ गये हम, कुछ फ़र्ज और कुछ कर्तव्य और कुछ ख़्वाबों को पूरा करने के लिये फ़िर...
मैं और मेरी तन्हाई आख़िर में साथ आ ही जाती हैं, मैं अगर थोड़ा सा दूर हो जाऊं ख़ुद से,...
सब बजारु म निनि सुणेन्दा तान्दि का गीत गौं मा नि सुणेन्दा बाजूबन्द डाण्डि कांण्ठियूं म नि सुणेन्दी बल्दू की...
हादसों का दर्द यूं तो हररोज ही होते हैं हादसे हमारे आसपास रोज ही अखबारों की सुर्खियां होते हैं कुछ...
वक्त कैसा भी हो गुज़र ही जाता है दर्द कैसा भी हो रह ही जाता है, ज़ख्म कैसा भी हो...