आज़ाद देश में भूख की न स्याह रात हो। पेट से न मुलाक़ात हो। ग़रीबों की बस्ती में अब भूख...
साहित्य
तो जानूं ग़रीबों के आंसू पी लें, तो जानूं। ग़रीब आज सुख से जी लें, तो जानूं। उनकी राहों में...
मुहब्बत जीत गई। नफ़रत हार गई। प्रेम का सोत कभी सूख नहीं सकता। बरसने से नेह कभी रूक नहीं सकता।...
मनभावन सावन है। मौसम भी पावन है। मैली धरती का भी अब उजला दामन है। कृष्ण - भक्ति में डूबा...
बीति ताहि बिसार दे बैचेन मन सोचता बहुत है तर्क बितर्क के जंजाल में वो फंसता सा चला जाता है...
बादल बादल मनमानी पर उतरे। वर्षों हो गए , ये न सुधरे। दिन सुहावने सावन के वे हो गए अब...
बचपन का पिटारा आज सफाई करते पुराने कमरे की, बचपन से भरा संदूक हाथ लगा एक, काले रंग में रंगी...
हाथों में हथकड़ियां हैं। पांवों में बेड़ियां हैं। कैसे हम लाज बचाएं घर-घर छुपा भेड़िया है। घरों में जो मिलती...
एक कोशिश बाकी है अभी। रात के घने अंधेरे से पहले, सांझ की वो हल्की रोशनी थी, मेरे ख्वाबों की...
आज़कल झूठ ने रफ़्तार पकड़ी हो रहा है मन विकल। घुटनों के बल ही रेंगता सच देख लो अब आजकल।।...