मैं ख़ुश हूं बहुत कि अपनी ख़ुशी की, अब मैं स्वयं ही तलबगार हूं मुझे चाहत नहीं अब तेरे प्यार...
नारी मंच
अक्षर साधकों की कल्पना , अक्सर धारण कर अंगवस्त्र शब्दों का। ओढ़ भावों की चुनरियाँ, भर लेती उपमान गगरिया, छलकाती...
दोहा कर जोड़ी वंदन करूं, गुरु को शीश झुकाय। रामकथा तुमसे कहूं, हनुमत निकट बिठाय चौपाई सरयू तीरे है इक...
मन बहुत बैचैन है कुछ ऐसा ढूँढ रहा है जो खो गया है खोया क्या है ये मालूम नही जीवन...
खुशियों से कभी झोली भर दे इतनी जो संभाले नहीं संभलती हैं। पलभर में छीन खुशियों को, दुःखों के समन्दर...
प्रभु कैसे तेरा आभार जताऊँ। बस संग तुम्हारो नीको लागे, जगत ये तुम बिन फीको लागे। तुमसे दूरी पर कैसे...
युग युग से हर नारी का है मन -मनोरथ स्वतंत्रता, समानता का समानाधिकार मिले समाज के हर एक पहलू और...
मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए। मुझे मेरे हिस्से का आसमान चाहिए। थोड़ी सी जमीं नहीं सारा जहान चाहिए। मैं...
गुरु -स्तवन ये मेरे अन्तर्मन् के उद्गार जीवन सद्गुरु का आभार। मात पिता ने जन्म दिया गुरु ने सौंपा ज्ञानागार।...
बहनो में बड़ी बहुओ में छोटी, न पीहर में अड़ी न ससुराल में लड़ी, बातो बातो में बोल देती है,...