ये जो मैं तुमको सरल और सहज दिख रहा हूँ, आज के इस महेंगे समाज में बड़ा सस्ता बिक रहा...
देहरादून
आंखों से बहा आंसु नहीं होता महज़ पानी होता है असहनीय पीढ़ा का आंखों से छलक जाना होता है भावनाओं...
लो जी फिर उठ गये हम, कुछ फ़र्ज और कुछ कर्तव्य और कुछ ख़्वाबों को पूरा करने के लिये फ़िर...
मैं और मेरी तन्हाई आख़िर में साथ आ ही जाती हैं, मैं अगर थोड़ा सा दूर हो जाऊं ख़ुद से,...
सब बजारु म निनि सुणेन्दा तान्दि का गीत गौं मा नि सुणेन्दा बाजूबन्द डाण्डि कांण्ठियूं म नि सुणेन्दी बल्दू की...
हादसों का दर्द यूं तो हररोज ही होते हैं हादसे हमारे आसपास रोज ही अखबारों की सुर्खियां होते हैं कुछ...
वक्त कैसा भी हो गुज़र ही जाता है दर्द कैसा भी हो रह ही जाता है, ज़ख्म कैसा भी हो...
अँधेरे मिटें रोशनी जगमगाए। रौनक ही रौनक ढेर घर में समाए।। बढ़े खुशहाली पाएं धन मान काफी। ख़ुशी देने लक्ष्मी...
तम गहराता रहा। दीया जलता रहा। सवेरा होने तक यह अखंड जलेगा। रात की आंखों में बैरी - सा खलेगा।...
कितने सागर डूबे जिसमें । उन्हीं नयनों का नीर हूं मैं॥ हर पल जो जी रहा है डर -डर के।...