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December 15, 2024

समस्याओं को लेकर अपर मुख्य सचिव से मिले राज्य कर्मचारी, सौंपा मांग पत्र, जानिए क्या है मांगे

उत्तराखंड के राज्य कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ने आज मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से मुलाकात कर उन्हें राज्यकर्मियों की समस्याओं से अवगत कराया।

उत्तराखंड के राज्य कर्मियों के प्रतिनिधिमंडल ने आज मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन से मुलाकात कर उन्हें राज्यकर्मियों की समस्याओं से अवगत कराया। साथ ही मुख्यमंत्री को संबोधित मांग पत्र उन्हें सौंपा और समस्याओं के शीघ्र निस्तारण की मांग की। ज्ञापन पर परिषद की ओर से नन्दकिशोर त्रिपाठी, अरूण पाण्डे एंव शक्ति प्रसाद भट्ट के हस्ताक्षर हैं।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद उत्तराखंड के कार्यकारी महामंत्री अरूण कुमार पांडे ने बताया कि सचिवालय स्थित अपर मुख्यसचिव कार्यालय में राज्यकर्मियों ने उनसे शिष्टाचार भेंट की। इस दौरान उनका ध्यान उत्तराखण्ड शासन के कार्मिक अनुभाग-2 की ओर से तत्कालीन वित्त मंत्री स्व. प्रकाश पन्त की अध्यक्षता में राज्य के कार्मिकों की मांगों के सम्बन्ध में दिनांक 27 अगस्त 2018 को आहूत समीक्षा बैठक के निर्णयों से अवगत कराया।
बताया कि उपरोक्त बैठक में प्रस्तुत 11 सूत्रीय मांगपत्र पर तत्कालीन वित्त मंत्री ने सर्वसहमति से कार्यवाही के लिए निर्देश दिये गये थे। इसके बिन्दु संख्या 03 पर अंकित कार्मिकों को एसीपी 10, 16 एवं 26 वर्ष की सेवा अवधि पर पदोन्नति वेतनमान देने के साथ ऊर्जा निगम के कार्मिकों को 09, 14 एवं 19 वर्ष की सेवा अवधि पर एसीपी का लाभ देने के लिए निर्देशित किया गया था।
साथ ही उन्होंने निर्देशित किया था कि मुख्य सचिव ऐसे विभागों व संवर्गों जिनमें कुल सेवा अवधि में न तो 03 पदोन्नतियां प्राप्त हो रही हैं और न ही 03 एसीपी का लाभ कार्मिकों को प्राप्त हो रहा है, के संबंझ में विभागवार सचिव, वित्त, उत्तराखंड शासन से केस-टू-केस समीक्षा कर उनके समक्ष प्रस्तुत करेंगे। इसके अतिरिक्त ऊर्जा निगमों में जिन कार्मिकों को सातवें वेतनमान का लाभ प्राप्त होने के फलस्वरूप छठे वेतनमान में प्राप्त वेतन से कम वेतन प्राप्त हो रहा है, के सम्बन्ध में निदेशक, वित्त, ऊर्जा विभाग द्वारा परीक्षणोंपरान्त प्रस्ताव वित्त विभाग के विचारार्थ उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए गए थे। इस पर जिस पर शासन के वित्त विभाग, ऊर्जा विभाग, समस्त प्रशासकीय विभाग एवं निदेशक, वित्त, ऊर्जा निगम के द्वारा अपेक्षित कार्यवाही की जानी थी।
राज्यकर्मियों के मुताबिक परिषद की मांग पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर अपर मुख्य सचिव (कार्मिक) की अध्यक्षता में शासन के सम्बन्धित अधिकारियों की उपस्थिति में परिषद के प्रतिनिधिमंडल के साथ पुनः बैठक आयोजित की गई। बैठक में विभिन्न बिन्दुओं में एसीपी के अन्तर्गत पदोन्नत वेतनमान दिया जाना, विभिन्न विभागों में रिक्त पदों के सापेक्ष लम्बित पदोन्नति किया जाना, विभागीय कार्मिकों के लम्बित प्रकरणों पर कार्यवाही के लिए विभागीय सचिव की अध्यक्षता में परिषद व विभागीय संगठन के साथ बैठकों का आयोजन कर प्रकरणों का निस्तारण किया जाना आदि पर बनी सहमति के उपरान्त शासन स्तर से सम्बन्धित अधिकारियों को पत्र भी निर्गत किये गये। इसके बावजूद प्रकरणों में जस की तस स्थिति बनी हुई है एवं प्रकरण विभागाध्यक्ष अथवा शासन स्तर पर लंबित हैं।
ये हैं मांगे
1. एसीपी की पूर्व व्यवस्था 10, 16 एवं 26 वर्ष को पदोन्नत पद के वेतनमान के साथ बहाली।
2. प्रदेश के समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों को पूरे सेवाकाल में पूर्व की भांति
पदोन्नति में शिथिलीकरण का लाभ दिया जाना।
3. राज्य कर्मियों को कैशलैस चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराया जाना।
4. विभिन्न विभागों में ढांचा/नियमावली अविलम्ब बनाई जाये तथा जिन विभागों में पदोन्नति नहीं हुई है उन विभागों में पदोन्नति किया जाना।
5. चुतर्थ श्रेणी कार्मिकों को एसीपी के अन्तर्गत ग्रेड पे-4200 दिया जाय तथा मृत घोषित किये गये सभी पदों को पुर्नजीवित किया जाय।
6. स्थानान्तरण अधिनियम में महिलाओं को 50 वर्ष एवं पुरूषों को 52 वर्ष दुर्गम क्षेत्र में स्थानान्तरण पर छूट दिया जाना।
7. विभिन्न विभागों में लम्बित वेतन विसंगति के प्रकरणों का पुनः मुख्य सचिव की अध्यक्षता में निस्तारण किया जाय।
8. विभिन्न विभागों में दैनिक वेतनभोगी, संविदा, उपनल, आउटसोर्स कर्मियों के नियमितीकरण की कार्यवाही की जाय।
9. जिन विभागों में पदोन्नति के अवसर नहीं है उन्हें अन्य संवर्गों की भांति स्टापिंग पैटर्न का लाभ दिया जाय।
10. जिन विभागों के कार्मिकांे को वाहन भत्ता नहीं दिया जा रहा है, उन्हें पूर्व की भांति वाहन भत्ता दिये जाने हेतु सम्बन्धित विभागाध्यक्षों को कडे निर्देश दिये जाने के सम्बन्ध में वर्ष 2013 में किये गये शासनादेश के अनुरूप समस्त फील्ड कर्मचारियों को वाहन भत्ता अनुमन्य किया जाय।
11. पुरानी पेंशन व्यवस्था को पुनः बहाल किया जाना।

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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