पढ़िए युवा कवयित्री प्रीति चौहान की कविता-खास हो तुम…
खास हो तुम…
खुबियो का तो दिवाना सारा जहाँ है….
तुम लाख खामिया होने के बाद किसी को चाहो….
तो खास हो तुम…..
खुशियो में तो महफिल सजती है हर किसी के आंगन में…
तुम किसी की मुश्किलो मे साथ खडे रह सको…..
तो खास हो तुम…..
अपनी खुशियो के पलो मे किसी ने तुम्हे भी शामिल किया…
बात ये कोई खास नही…….
कोई गम के तरानो मे तुम्हारा सहारा मांगे…..
तो खास हो तुम……
जब तुम्हारे पास सब कुछ हो देने को तब तुमने दिया तो क्या दिया?……..
जब तुम्हारे पास कुछ न हो देने को तब तुमने जो दिया सब कुछ दिया…..
तो खास हो तुम…….
जब कोई हताश हो जाए अपनी जिंदगी से जीवन अंधकारमय हो जाए…
तब उसके जीवन में नई उम्मिदो का दिया जला सको…..
उसे ज़िंदगी जीने की कला सिखा सको……
तो खास हो तुम…..
जो किस्से जमाने ने पढ लिए वो चर्चे तुमने भी सुन लिए तो क्या?….
जो बात कोई अपनी रुह से न कह सका………
वो तुमसे कह दिया……….
तो खास हो तुम……..
कवयित्री का परिचय
नाम-प्रीति चौहान
निवास-जाखन कैनाल रोड देहरादून, उत्तराखंड
छात्रा- बीए (द्वितीय वर्ष) एमकेपी पीजी कॉलेज देहरादून उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।