Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

August 26, 2025

पढ़िए युवा कवयित्री किरन पुरोहित की गढ़वाली रचना-मध्य हिमालै

मध्य हिमालै ?

ऊंचा हिवांळों ह्यूं की चादर,
रूमझुम बरखा मध्य हिमालै ।
धारूं – धारूं बादळ माळा ,
ठंडु बथौऊं मध्य हिमालै ।।

नह्यी ध्वेयी सजीं च ब्योली ,
यनी शोभणू मध्य हिमालै ।
बांसण लैगिन चखुला न्योळी ,
यनी बोलणू मध्य हिमालै ।।1।।

बांज – कुंळैं का बौण हैंसणा ,
गीत सुणौणा मध्य हिमालै ।
कांठा अपणी ओर खैंचणा ,
प्रीत जगौणा मध्य हिमालै ।। 2।।

धौळी गंगा कल-कल बगणी ,
ठुम – ठुम चलणी मध्य हिमालै ।
माछ्यूं सीं कन दौड़ लगींच ,
लहरूं दगणी मध्य हिमालै ।।3।।

अबी फूलली पैंय्यां डाळी ,
कनो शोभलो मध्य हिमालै ।
हिमपुत्री मा छुईं लगौलों ,
काब्य बोललो मध्य हिमालै ।।4।।

कवयित्री का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *