पढ़िए युवा कवयित्री किरन पुरोहित की गढ़वाली रचना-मध्य हिमालै
मध्य हिमालै ?
ऊंचा हिवांळों ह्यूं की चादर,
रूमझुम बरखा मध्य हिमालै ।
धारूं – धारूं बादळ माळा ,
ठंडु बथौऊं मध्य हिमालै ।।
नह्यी ध्वेयी सजीं च ब्योली ,
यनी शोभणू मध्य हिमालै ।
बांसण लैगिन चखुला न्योळी ,
यनी बोलणू मध्य हिमालै ।।1।।
बांज – कुंळैं का बौण हैंसणा ,
गीत सुणौणा मध्य हिमालै ।
कांठा अपणी ओर खैंचणा ,
प्रीत जगौणा मध्य हिमालै ।। 2।।
धौळी गंगा कल-कल बगणी ,
ठुम – ठुम चलणी मध्य हिमालै ।
माछ्यूं सीं कन दौड़ लगींच ,
लहरूं दगणी मध्य हिमालै ।।3।।
अबी फूलली पैंय्यां डाळी ,
कनो शोभलो मध्य हिमालै ।
हिमपुत्री मा छुईं लगौलों ,
काब्य बोललो मध्य हिमालै ।।4।।
कवयित्री का परिचय —
नाम – किरन पुरोहित “हिमपुत्री”
पिता -दीपेंद्र पुरोहित
माता -दीपा पुरोहित
जन्म – 21 अप्रैल 2003
अध्ययनरत – हेमवती नंदन बहुगुणा विश्वविद्यालय श्रीनगर मे बीए प्रथम वर्ष की छात्रा।
निवास-कर्णप्रयाग चमोली उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।