शिक्षक एवं कवि राजेन्द्र बहुगुणा की कविता-स्वतन्त्रता सेनानी, अमर शहीद श्रीदेव सुमन
नभ में हैं सेसी किरणें,
तम धरा का जो मिटा लेती हैं।
मानव में आकर ये,
राह दुनिया को दिखा देती हैं।।
धन्य है गढभूमि तुम्हें,
बीर सुमन को जन्म दिया।
अद्भुत सेवा करके जिसने,
मातृभूमि को प्राण दिया।।
प्राणों की न थी प्रवाह जिन्हें,
ऐसा जीवन आदम्य हुआ।
बेड़ियों में जूझ कर भी,
मातृभूमि का साथ दिया।।
पुनर्जन्म यदि मिले तुम्हें,
इसी धरा में ये सुमन खिले।
आशीष मिले इस धरती को,
शौरभ की ये किरण मिले।।
सुमन तुम स्वयम ही थे,
श्रद्धा सुमन तुम्हे अर्पित हों।
उन कदमों में मिलें तुम्हारे हम
जीवन तुम्हें समर्पित हों।।
जहां भी हों हम गढ़-देश वासी,
वहीं स्मरण तुम्हारा है ।
श्रद्धांजलि उस पुण्यात्मा को,
कोटि प्रणाम तुम्हरा है ।।
कवि का परिचय
शिक्षक एवं कवि राजेन्द्र बहुगुणा, राजकीय जूनियर हाईस्कूल, दिगोठी चम्बा टिहरी में शिक्षक हैं। वह श्री शैलेश मटियानी राज्य शैक्षिक उत्कृष्टता पुरस्कार से सम्मानित हैं। साथ ही वरिष्ठ उत्तराखंड राज्य आंदोलनकारी भी हैं। वर्तमान में जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ उत्तराखंड के प्रदेश महामंत्री हैं। साथ ही विभिन्न सामाजिक, शैक्षिक सांगठनों से जुड़े हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।