Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 8, 2024

शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-सबसे बड़ा योग

शिक्षिका एवं कवयित्री डॉ. पुष्पा खण्डूरी की कविता-सबसे बड़ा योग।

सबसे बड़ा योग
परस्पर सहयोग ही तो
सदा सबसे बड़ा योग है।
एक रोटी जो हाथों में आई
सुनो, कहती है हमसे बहुत कुछ,
कथा इक लम्बी सी कर्म-योग की

सर्दी में अपने ढाँपने थर- थर वदन को काँपते,
जो चीर धारन किया हमने!
सुनो,कहती है हमसे बहुत ,
कथा लम्बी सी उस चरवाहे की
जिसने अपनी भेड़ ही कम्बल में समेट कर
सौंप दी बाजार को,
और तरसता रहा सर्दी में खुद,
इक फटी सी लीर को ॥

पैकेट में स्वादों को बन्द कर,
पहुँचा दिया डाइनिंग टेबुलों पर हमारी,
सुनो, कहती है हमसे बहुत कुछ
कथा उस विचारे शख्स ,
भीग कर बारिशों में जिसने
स्वयं भंडारे में जाकर
मिटाई भूख अपने पेट की ॥

याद कर उन सबको गर तू,
मान इक एहसान कर,
नित अपनी आजीविका से,
तू किसी जरूरतमंद को तो तृप्त कर।
चुका पाऐगा इस तरह तू भी
किसी का ऋण कभी !
उऋण होने के लिए नित
परस्पर सहयोग का
जीवन में प्रतिदिन योग कर॥

कवयित्री का परिचय
डॉ. पुष्पा खण्डूरी
एसोसिएट प्रो. एवं हिंदी विभागाध्यक्ष
डीएवी (पीजी ) कालेज देहरादून, उत्तराखंड। (लेखिका देहरादून में डीएवी छात्रसंघ के पूर्व लोकप्रिय अध्यक्ष एवं भाजपा नेता विवेकानंद खंण्डूरी की धर्म पत्नी हैं। कविता और साहित्य लेखन उनकी रुचि है)

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page