कवि श्याम लाल भारती की कविता-मातृभूमि के वीर जवान
हे! मातृभूमि के वीर जवान,
जज्बा इतना क्यों बड़ा है।
वतन की खातिर ही तो आज,
वो परिवार से दूर खड़ा है।
इसीलिए तो मैं आज तुमको,
पुष्प अर्पित करने चल पड़ा हूं।।
वतन पर जान कुर्बान हर वक्त,
इतना साहस तुझमें भरा पड़ा है।
नमन करता हूं तुम्हारे साहस को मैं,
कूट कूट कर जो हृदय में भरा पड़ा है।
इसीलिए तो मैं आज तुमको,
पुष्प अर्पित करने चल पड़ा हूं।।
जननी धन्य है तेरी वो माता,
संसार में जिसका दिल बड़ा है।
सौंप दिया वतन को तुझको,
तू नहीं उसे मातृ भूमि से बड़ा है।
इसीलिए तो मैं आज तुमको,
पुष्प अर्पित करने चल पड़ा हूं।।
आग हो पानी या हो वर्षा आंधी,
वो सीमा पर अडिग खड़ा है।
करने दुश्मनों का जड़ से खात्मा,
हथियार लिए वो चल पड़ा है।
इसीलिए तो मैं आज तुमको,
पुष्प अर्पित करने चल पड़ा हूं।।
भारत की भूमि में जन्मा वो,
तभी तो नाम वीर जवान पड़ा है।
धन्य है वीर तेरी वो जवानी,
न्योछावर जो वतन पर करने चल पड़ा है।
इसीलिए तो मैं आज तुमको,
पुष्प अर्पित करने चल पड़ा हूं।।
चल पड़ा हूं, चल पड़ा हूं।।
कवि का परिचय
श्याम लाल भारती राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसे लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।