युवा कवि सागर पांडे (कलमकार) की कविता- माँ के चरणों मे होती जन्नत है
माँ के चरणों मे होती जन्नत है !
अगर देदे आर्शीवाद तो हो जाती पूरी मन्नत है !
खुद ना खाके मुझे खिलाती है!
खुद ना सोके मुझे सुलाती है!
मुझपर आंच नहीं आने देती,
तकलीफ सारी खुद वो सह जाती है !
जो मे चहु वो सब लाती हैं!
अपनी खुशियों का त्याग मेरे लिए वो करती है !
कठिन परिस्तिति से लड़ती है !
कम राशन मे भी घर वो चलाती है!
हम सोते चैन से मगर काम करने के लिए घर का जल्दी वो जग जाती है !
थकती नहीं कभी बस काम करती जाती है !
दूर होती हैं मुझसे याद उनकी मुझे सताती है !
जब फेर देती हैं सर पे हाथ मेरे तो सारा तनाव ख़तम हो जाता है !
माँ अगर लगा ले सीने से तो डर भी खतम हो जाता है !
सुकून उनके पास बैठने से आता है !
बचाती मुझे बुरी आदतों से और अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करती हैं !
करती है यकीन मुझ पर की मैं भी कुछ कर सकता हूं,
आगे जीवन मे बड़ सकता हूं !
मैं होउंगा सफल मुझपर उनको एतबार है,
मेरे सपनो से उनको मुझसे ज्यादा प्यार है !
मेरी माँ जैसा कोई नहीं, मेरे लिए सबकुछ वही है!
हूं सफल मैं और फैसले भी लू सही !
हर जन्म मुझे मिले माँ यही !
कवि का परिचय
सागर पांडे (कलमकार)
शिक्षा – ग्रेजुएटेड
निवास- 25 A जहान्वी द्वार गंगासागर, मेरठ।
वर्तमान में कविता, शयारी लिखते हैं और नौकरी की तलाश हैं!
मो–9917313580
सागर पांडे मूल रूप से उत्तराखंड निवासी हैं। वह मैरठ (उत्तरप्रदेश ) में रह रहते हैं। लिखना और पढ़ना उनका शौक है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।