Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

October 13, 2025

युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-मेरे पेचीदा से हालात

मेरे पेचीदा से हालात।
दिलों के जज़्बात।।
तेरी चटपटी सी बात।
मेरे हाँथों में तेरा हाथ।
लेकर आई है ज़ज्बातों की सन्दूक।
वो तेरी मेरी दूसरी मुलाक़ात।
वो हल्की हल्की सी बरसात।।
वो चाय की दूकान।
वो दिल में उठते तूफ़ान।।
लेकर आई है ज़ज्बातों की सन्दूक।
मेरा एक हाथ से बाइक चलाना।
मेरे कन्धे पर चेहरा रख के तेरा बतियाना।।
तेरी गर्म सासों का एहसास।
तुझसे मिलन की वो एक आस।।
लेकर आई है ज़ज्बातों की सन्दूक।
इस ज़ज्बातों की सन्दूक में प्यार की कहानी है।
सब राजा हैं और सबकी अपनी-अपनी रानी है।।
ये ज़ज्बातों की सन्दूक यूँ ही भरती रहे।
प्यार की भावनायें हमारे दिलों में पलती रहे।।
ज़ज्बातों की सन्दूक………

कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रूची है।

मोबाइल नंबर-75258 88880

 

Bhanu Bangwal

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *