युवा कवि ब्राह्मण आशीष उपाध्याय की कविता-मेरे पेचीदा से हालात
मेरे पेचीदा से हालात।
दिलों के जज़्बात।।
तेरी चटपटी सी बात।
मेरे हाँथों में तेरा हाथ।
लेकर आई है ज़ज्बातों की सन्दूक।
वो तेरी मेरी दूसरी मुलाक़ात।
वो हल्की हल्की सी बरसात।।
वो चाय की दूकान।
वो दिल में उठते तूफ़ान।।
लेकर आई है ज़ज्बातों की सन्दूक।
मेरा एक हाथ से बाइक चलाना।
मेरे कन्धे पर चेहरा रख के तेरा बतियाना।।
तेरी गर्म सासों का एहसास।
तुझसे मिलन की वो एक आस।।
लेकर आई है ज़ज्बातों की सन्दूक।
इस ज़ज्बातों की सन्दूक में प्यार की कहानी है।
सब राजा हैं और सबकी अपनी-अपनी रानी है।।
ये ज़ज्बातों की सन्दूक यूँ ही भरती रहे।
प्यार की भावनायें हमारे दिलों में पलती रहे।।
ज़ज्बातों की सन्दूक………
कवि का परिचय
नाम-ब्राह्मण आशीष उपाध्याय (विद्रोही)
पता-प्रतापगढ़ उत्तरप्रदेश
परिचय-पेशे से छात्र और व्यवसायी युवा हिन्दी लेखक ब्राह्मण आशीष उपाध्याय #vद्रोही उत्तरप्रदेश के प्रतापगढ़ जनपद के एक छोटे से गाँव टांडा से ताल्लुक़ रखते हैं। उन्होंने पॉलिटेक्निक (नैनी प्रयागराज) और बीटेक ( बाबू बनारसी दास विश्वविद्यालय से मेकैनिकल ) तक की शिक्षा प्राप्त की है। वह लखनऊ विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं। आशीष को कॉलेज के दिनों से ही लिखने में रूची है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।