शिक्षक एवं कवि श्यामलाल भारती की कविता-आओ श्रीदेव सुमन को याद करें

जन्मा था जो 25 मई 1916 को,
25 जुलाई 1944 को खो गया था।
कसूर क्या था उसका बोलो,
परिवार उसका क्यों रो गया था।।
श्रीदेव सुमन नाम था उसका,
जौल गांव टिहरी में जन्म हो गया था।
टिहरी जनता की खातिर लड़ा वो,
लड़ना भला क्यों बुरा हो गया था।
“कसूर था बस उसका इतना सा,
वो राजशाही,के विरूद्ध बोल गया था।
जनता की खातिर बोल उठा वो,
इसी कारण खात्मा उसका हो गया था।।
“युद्ध के बहाने भोली जनता पर,
दमन शोषण का कहर हो रहा था।
पीड़ा न सह सके सुमन जनता की,
न्याय दिलाना जरूरी हो गया था।
“29 वर्ष की आयु में जनता के लिए,
प्रजा मंडल बनाओ बोल रहा था।
चुभने लगा अब सुमन रियासत को ,
राजशाही सुमन के लिए अब,
काल कोठरी के द्वार खोल गया था।।
काल कोठरी में यातनाएं दी गई उनको,
सुमन खुद के कष्ट भुला गया था।
कितना बड़ा धोखा राजशाही का,
जब आदमी घर से बेघर हो रहा था।
तब 1857 में अंग्रेजो की खातिर,
राजशाही राजमहल खोल रहा था
जनता जंगलों में भटक रही थी उनकी,
दुश्मन अंग्रेज महल में सो रहा था।
आवाज उठा बैठे सुमन जब इस कारण,
कठोर कारावास उन्हे हो गया था।।
अब 84 दिन का आमरण अनशन
श्रीदेव सुमन का शुरू हो गया था।
खतरा बन बैठे थे राजशाही के लिए सुमन,
ऐसा महसूस अंग्रेजो को हो रहा था।।
30 दिस0 1943 से 1944 तक,
209 दिन जेल में दुःख झेल रहा था।
शरीर का कण कण नष्ट हो गया पर,
जनता कि खातिर कष्ट झेल रहा था।।
खिला दी कांच पिसी रोटियां सुमन को,
उनको मिटाना जरूरी हो गया था।
दया भी न आयी उन दरिंदो को,
नदी की धारा में उन्हे डुबो दिया था।।
कुनैन इंट्रा वेनस इंजेक्शन लगाए उन्हे,
मौत की नींद जो उन्हें सुला गया था।
तड़पते रहे बिना पानी के सुमन,
बिना पानी वो जान खो गया था।
सो गया सदा के लिए अमर बलिदानी,
वो प्रकृति की गोद में सो गया था।
ऊपर बैठा खुदा भी आसमां में,
शहादत पर सुमन की रो रहा था।।
सुनकर कहानी सुमन की आज,
मेरा दिल भी खूब रो रहा था।
जनता की खातिर प्राण तज दिए,
वो इस धरा में कहीं खो गया था।।
नहीं भूलेगा बलिदान सुमन का कोई,
वो सबका आज अपना हो गया था।
कौन जीता युगों युगों तक यहां,
1944 में वो हमसे दूर हो गया था।।
अंत में संदेश
काम अच्छे कर लो,
अच्छी जिंदगानी आपकी।
लोग भी सबक सीखे,
सुनकर कहानी आपकी।।
कवि का परिचय
नाम- श्याम लाल भारती
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय देवनगर चोपड़ा में अध्यापक हैं और गांव कोठगी रुद्रप्रयाग, उत्तराखंड के निवासी हैं। श्यामलाल भारती जी की विशेषता ये है कि वे उत्तराखंड की महान विभूतियों पर कविता लिखते हैं। कविता के माध्यम से ही वे ऐसी लोगों की जीवनी लोगों को पढ़ा देते हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
बहुत मार्मिक रचना?????