होली पर्व पर युवा कवि सूरज रावत की कविता- अरे सुनो होली आयी है

अरे सुनो होली आयी है, खुशियों के रंग साथ लायी है,
कोई अबीर उड़ाएगा कोई गुलाल उड़ाएगा,
अब प्रकृति का भी नया रंग खिल जायेगा,
कही पूरी पकवान मिठाई बंट रही है,
और कहीं गुजिया की खुशबु छायी है,
अरे सुनो होली आयी है, खुशियों के रंग साथ लायी है, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
प्यार और सौहार्द का त्यौहार आया है,
खुशियों के रंग साथ लाया,
कहीं गूँजी रही हैं किलकारियां,
कहीं रंग बरसाती पिचकारियां,
हर कोई रंग से रंगने लगा है,
देखो ना हर घर आंगन अब सजने लगा है,
मची है गाने बजाने की धूम, हर गली मस्ती छायी है,
अरे सुनो होली आयी है, खुशियों के रंग साथ लायी है, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
कहीं फूल तो कहीं रंग बरस रहा है,
कहीं रंग बिरंगे गुब्बारे खिल रहे हैं,
कहीं आपस प्यार में उमड़ रहा है,
कहीं फिर से दो दिल मिल रहे हैं,
प्यार के रंगों से सारे रिश्ते सजने लगे हैं,
कहीं ढोल नगाड़े कहीं गीतों के सुर बजने लगे हैं,
हर गली , हर मोहल्ले में एक बार फिर से रौनक आयी है,
अरे सुनो होली आयी है, खुशियों के रंग साथ लायी है।
कवि का परिचय
सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।