युवा कवि सूरज रावत की कविता- चलो आज एक सवाल पूछता हूँ

चलो आज एक सवाल पूछता हूँ,
तुम्हारा ध्यान समाज की ओर खींचता हूँ,
सत्ता में बैठे सरकारी रोटी सेंकने वालों,
ऊँची ऊँची बातों से लम्बी फेंकने वालों,
कभी पक्ष, कभी विपक्ष बनकर तर्क साधने वालों,
चलो आज एक सवाल पूछता हूँ,
तुम्हारा ध्यान समाज की ओर खींचता हूँ,
देखो आज हर नौजवान नशे की आगोश में है,
पढ़ा लिखा बेरोगार भी आज रोष में है,
क्या कोई भी पक्ष, विपक्ष आज होश में है,
जिसने भी उम्मीद लगायी तुमसे
हर कोई आज अफ़सोस में है,
कहाँ गया रोजगार कहाँ गया विकास,
देखो सफ़ेद चोले वालों,
आज हर वर्ग है तुमसे निराश,
बस कुछ चेले चपेटे ही बन गये तुम्हारे खास,
अब तो समाज की ख़त्म हो रही है तुमसे आस,
चलो आज एक सवाल पूछता हूँ,
तुम्हारा ध्यान समाज की ओर खींचता हूँ, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
तुम कभी बड़े बड़े कानून ले आये,
उसकी आवाज़ भी तुमने दबायी,
जिसने तुम्हारे मुद्दे उठाये,
चुनाव आते ही बड़े बड़े वादे तुम कर जाओगे,
सत्ता मिलते ही वर्षों तक नजर नहीं आओगे,
कैसे होगा इस समाज का उद्धार,
ना अच्छी शिक्षा मिली, ना मिला रोजगार,
बस जुमलेबाजी करती रह गयी हर सरकार,
चलो आज एक सवाल पूछता हूँ,
तुम्हारा ध्यान समाज की ओर खींचता हूँ, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
कहीं भ्रस्टाचार, कहीं बलात्कार आज व्याप्त है,
क्या तुम्हारे खोखले वादे ही जनता के लिए पर्याप्त हैं,
कहाँ जायेगा बरोजगार इसका तो जरा ख्याल करो,
क्या युवा विकसित हो पायेगा, जरा इस पर विचार करो,
झूठे वादे छोड़ो अब सच का प्रचार करो,
चलो आज एक सवाल पूछता हूँ,
तुम्हारा ध्यान समाज की ओर खींचता हूँ, (कविता जारी अगले पैरे में देखिए)
आये दिन बेरोजगारी बढ़ रही है,
महंगाई चरम सीमा पर चढ़ रही है,
सोचो कहाँ जायेगा हमारा नौजवान,
क्या हो पायेगा इन मुद्दों का समाधान ,
पलायन करने में मजबूर हैं लोग,
बेरोजगारी , महंगाई है आज का सबसे बड़ा रोग,
गांव गांव अब बंजर हो गये हैं,
देखो समाज की हालात ये कैसे मंजर हो गये हैं,
चलो आज एक सवाल पूछता हूँ,
तुम्हारा ध्यान समाज की ओर खींचता हूँ।
कवि का परिचय
सूरज रावत, मूल निवासी लोहाघाट, चंपावत, उत्तराखंड। वर्तमान में देहरादून में निजी कंपनी में कार्यरत।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।