शिक्षक राजेश जोशी की कविता- आज मैं भी मुस्कुराना चाहता हूँ
आज मैं भी मुस्कुराना चाहता हूँ।
साल बीसा को भुलाना चाहता हूँ।
आ गया है द्वार पे नव वर्ष देखो।
मैं इसे अपना बनाना चाहता हूँ।
थक चुका हूँ आज लड़ते मुश्किलों से।
आज खुलकर गीत गाना चाहता हूँ।
है खुशी की ये नई सौगात साथी।
मैं खुशी से नाच जाना चाहता हूँ।
थी बड़ी नाराजगी सी वक्त से भी।
मैं मगर वो सब मिटाना चाहता हूँ।
हों सभी खुशहाल मेरे देशवासी।
मैं प्रभू को यूँ मनाना चाहता हूँ।
हे प्रभू बीते समय को भूल पाऊं।
ये दुआ मैं आज पाना चाहता हूँ।
जो कहीं खो से गये हैं आज गम से।
आज उनको मैं हँसाना चाहता हूँ।
आरजू है आज ये ही ‘राज’मेरी।
मैं खुशी को बांट जाना चाहता हूँ।
कवि का परिचय
राजेश जोशी
जोशी मोहल्ला जोशियाड़ा
उत्तरकाशी,उत्तराखंड।
राजेश जोशी उत्तरकाशी जनपद के वरुणाघाटी के राजकीय इंटर कॉलेज कवां एट हाली में विज्ञान के शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।