कवि रजनीश शर्मा की कविता-मुश्किल डगर

मुश्किल डगर
माना की मुश्किल है डगर पत्थर भी हैं कंकर भी हैं
मत भूल इस सफर में तू अकेला नहीं शंकर भी हैं
बहला के सब गुजर जायेंगे समझा के सब चले जायेंगे
लड़ना तुझे खुद ही है तेरे हौंसले ही अब काम आयेंगे
रातें साजिशें करे कितनी सूरज को ना रोक पाएंगी
निकलेगा कल फिर उसी जगह किरणे पुनः खिल जाएंगी
घर सुने गली सुनी मोहल्ले भी सब सुनसान हैं
इम्तिहान अभी बाकी कितने लोग भी हैरान हैं
उम्मीद के इस दामन को तू आखिर तक न छोड़ना
मायूसी की इस चादर को तू हरगिज़ कभी न औढ़ना
कल फिर सवेरा आएगा सब कुछ संवर जायेगा
मंजर भी बदलेगा जरूर पहले सा सब हो जायेगा
हिम्मत कहेगी जोश से और कानो में फुसफुसाएगी
बादलीयां गमों की छट चुकी अब जिंदगी मुस्कुराएगी
कवि का परिचय
रजनीश शर्मा उत्तर प्रदेश के मेरठ में गंगा नगर के निवासी हैं। पेंटिंग उनका शौक है। साथ ही वह कविता भी लिखते हैं।