ललित मोहन गहतोड़ी की कविता-सुन मौत जरा थमकर आना
मैं गीत तेरे…
सुन मौत
जरा थमकर आना…
मैं गीत
तेरे ही गुनता रहा…
मैं गीत तेरे ही…
सुन मौत जरा…
सब गीत तो तेरी जुबानी हैं…
मेरे गीत तो तेरी निशानी हैं…
मेरे गीत में तेरी कहानी है…
जरा दबे पांव सुनते जाना…
मैं गीत तेरे ही…
सुन मौत जरा…
अभिमान भजन भी तजना है…
अभी राम भजन भी भजना है…
मोहन संग प्रीत लगानी है…
जरा देर लगाकर आ जाना..
मैं गीत तेरे ही…
सुन मौत जरा…
जैसे अतिथि स्वागत होता है…
वैसे तेरा सत्कार करूंगा तब…
भवसागर नैय्या उतरेगी…
तब पार लगाने आ जाना…
मैं गीत तेरे ही…
सुन मौत जरा…
कवि का परिचय
ललित मोहन गहतोड़ी
शिक्षा :
हाईस्कूल, 1993
इंटरमीडिएट, 1996
स्नातक, 1999
डिप्लोमा इन स्टेनोग्राफी, 2000
निवासी-जगदंबा कालोनी, चांदमारी लोहाघाट
जिला चंपावत, उत्तराखंड।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।