कविताः नव वर्ष का आह्वान-डॉ. मुनिराम सकलानी मुनींद्र

नव प्यार दे, सम्मान दे, शुभ राह दे, मान व सम्मान दे,
नव वर्ष नूतन आपको नित उन्नति के नये आयाम दे,
शुभकर्म दे,नूतन ज्ञान दे,सुख समद्धि के फरमान दे,
प्रगति पथ पर अग्रसर हो,सौभ्य सूरजमुखी मुस्कान दे।
प्रीति को कंठहार बनायं,नफरत को दूर भगाएं,
समरसता का दीप जलाये, सौहार्द को नित अपनाएं
गिरते हुए को उपर उठाएं,असहाय को गले लगायें।
स्वार्थ के अथाह सागर में,परमार्थ का मार्ग अपनाएं।
कर्तव्य पथ पर नित बढे चलो, मानव सेवा ही धर्म हो,
स्वाभलम्ब व समर्पण भाव हो,सदैव ही ये सद्कर्म हो,
व्यथित विचलित न हो राह से,
सभी का यह उत्तम भाव हो,
मनु की सन्तति हैं हम सब, इसका हमें सदैव अहसास हो।
कवि का परिचय
डॉ. मुनिराम सकलानी, मुनींद्र। पूर्व निदेशक राजभाषा विभाग (आयकर)। पूर्व सचिव डा. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल हिंदी अकादमी,उत्तराखंड। अध्यक्ष उत्तराखंड शोध संस्थान। लेखक, पत्रकार, कवि एवं भाषाविद।
निवास : किशननगर, देहरादून, उत्तराखंड।