लखीमपुर खीरी हिंसाः सुप्रीम कोर्ट ने कहा- ऐसा लगता है विशेष आरोपी को दिया जा रहा दोहरी एफआइआर का लाभ, रिटायर्ड जज करेंगे निगरानी

लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में सवाल उठाए। साथ ही कहा कि ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को दो एफआइआर के ओवरलैप का लाभ दिया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने जांच की निगरानी के लिए हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की नियुक्ति की भी बात कही। ये चौथी बार है, जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार को फिर से फटकार लगाई।
देश के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ यह सुनवाई कर रही है। सुनवाई के दौरान CJI ने कहा कि यूपी पुलिस की स्टेटस रिपोर्ट में कुछ नहीं है। सिर्फ ये बात है कि कुछ और लोगों की गवाही हो रही है। हमने आपको और समय दिया था। दूसरे मुद्दों पर क्या हुआ। मोबाइल टावर से मोबाइल डेटा का क्या हुआ? दरअसल, यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में नई स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की है। कोर्ट ने इसे लेकर यूपी पुलिस पर सवाल उठाए हैं। SC ने कहा, ‘स्टेटस रिपोर्ट में कुछ भी नया नहीं है। हम जो उम्मीद कर रहे थे वैसा कुछ नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि-केवल आरोपी आशीष मिश्रा का ही मोबाइल मिला ? बाकी आरोपियों के मोबाइल का क्या हुआ? शीर्ष अदालत ने कहा कि हमने 10 दिन का समय दिया, लैब की रिपोर्ट भी नहीं आई। यूपी सरकार के लिए पेश हुए वकील हरीश साल्वेने कहा कि हम लैब से संपर्क कर रहे हैं। सीजेआइ ने सेल टावरों के माध्यम से आप पहचान सकते हैं कि क्षेत्र में कौन से मोबाइल एक्टिव थे। क्या अन्य आरोपी मोबाइल फोन का इस्तेमाल नहीं कर रहे थे? जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि हमें यह कहते हुए दुख हो रहा है कि प्रथम दृष्टया ऐसा लगता है कि एक विशेष आरोपी को 2 एफआईआर को ओवरलैप करके लाभ दिया जा रहा है। हरीश साल्वे ने कहा कि चश्मदीद गवाह हैं। इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि ये आरोपी घटना स्थल पर थे। सीसीटीवी फुटेज के जरिए साफ होता है। हमने बयान दर्ज करने के लिए गवाहों को बुलाया है।
सीजेआइ ने कहा कि आपको जांच करनी होगी। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि अब कहा जा रहा है कि दो FIR हैं। एक FIR में जुटाए गए सबूत दूसरे में इस्तेमाल किए जाएंगे। एक आरोपी को बचाने के लिए, दूसरी FIR में एक तरह से सबूत इकट्ठा किए जा रहे हैं। CJI ने कहा कि दोनों FIR की अलग- अलग जांच हो। इस पर साल्वे ने कहा कि अलग जांच हो रही है। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि एक किसानों की हत्या का मामला है तो दूसरा पत्रकार व राजनीतिक कार्यकर्ता का। गवाहों के बयान दर्ज किए गए हैं जो मुख्य आरोपी के पक्ष में लगते हैं।
हरीश साल्वे ने कहा कि अगर कोई आगे आता है और कहता है कि उसका बयान दर्ज किया जाए तो हमें वह करना होगा। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा कि यह अलग बात है और यह अलग बात है जब आप कुछ लोगों की पहचान करने का प्रयास करें और फिर बयान दर्ज करें। जस्टिस सूर्यकांत ने इस पर कहा कि यह अलग बात है और यह अलग बात है जब आप कुछ लोगों की पहचान करने का प्रयास करें और फिर बयान दर्ज करें।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम किसी दूसरे हाईकोर्ट के रिटायर जज को जांच की निगरानी के लिए नियुक्त करेंगे। दोनों FIR की अलग- अलग जांच हो। अलग- अलग ही चार्जशीट दाखिल हो। रिटायर जज को इसकी निगरानी करने दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को खरी- खरी सुनाते हुए कहा कि हमें लगता है कि SIT दोनों FIR के बीच एक दूरी बनाए रखने में असमर्थ है। ओवरलैपिंग या इंटरलिंकिंग नहीं होनी चाहिए। हम नहीं चाहते कि आपका न्यायिक आयोग बना रहे, इससे भरोसा बनाए रखा नहीं जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम मामले की जांच में निष्पक्षता और स्वतंत्रता चाहते हैं। इसलिए चार्जशीट दाखिल होने तक एक रिटायर्ड हाईकोर्ट जज की नियुक्ति करना चाहते हैं। यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि पत्रकार रमन कश्यप की मौत कार से कुचलकर हुई। पहले कंफ्यूजन था कि क्या वो आशीष मिश्रा की टीम का हिस्सा था, लेकिन बाद में पता लगा कि वो भीड़ का हिस्सा हैं और कार से कुचल दिया गया। जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि इसलिए हमें निगरानी की जरूरत है।
हरीश साल्वे ने कहा कि जो कुछ भी हो रहा है उसके राजनीतिक रंग हैं। इस पर CJI ने कहा कि हम राजनीतिक रंग नहीं जोड़ना चाहते। एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश को इसकी निगरानी करने दें। सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को रिटायर हाईकोर्ट जज का नाम सुझाने को कहा है। साथ ही स्पष्ट किया कि रिटायर्ड जज हाईकोर्ट से हों और यूपी से बाहर के हों। मामले में अब शुक्रवार को सुनवाई होगी। CJI ने यूपी सरकार से पूछा कि मृतक श्याम सुंदर के मामले में हो रही जांच में लापरवाही पर क्या कहेंगे? गौरतलब है कि श्याम सुंदर की पत्नी वकील ने मामले की जांच CBI से कराने की मांग की है। इस पर SC ने मृतक श्याम सुंदर की पत्नी के वकील से कहा कि सीबीआई को मामला सौंपना कोई हल नहीं है।
ये है मामला
बता दें कि 3 अक्टूबर को हुई लखीमपुर खीरी हिंसा में मारे गए आठ लोगों में से चार किसान थे, जिन्हें बीजेपी कार्यकर्ताओं को ले जा रहे एक वाहन ने कथित तौर पर टक्कर मार दी थी। अन्य मृतकों में भाजपा के दो कार्यकर्ता और उनका चालक शामिल हैं। इस मामले में केंद्रीय मंत्री टेनी के बेटे आशीष मिश्रा और 12 अन्य लोगों को गिरफ्तार किया है। किसानों ने दावा किया है कि अजय मिश्रा का बेटा आशीष एक वाहन में था। हालांकि, इस आरोप का आशीष और उनके पिता ने खंडन किया है। आशीष मिश्रा को इस मामले में नौ अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था।
Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।