कविता से जानिए क्या है बिजली, छेड़ोगे तो मिलेगी पटखनी
बिजली
तांबे की तार से गुजर जाती है बिजली
न मिलता है प्रकाश, न मिलती है गरमी
मगर वही बिजली जब टंगस्टन की तार में घुसती है
तो वह तार धधकने लगती है, बल्ब जल उठता है
तांबे में विरोध की नहीं है शक्ति
पर टंगस्टन रोकता है
जो सीधा, सरल! सच्चा होता है
वह न गरम होता है, न दिखता है
जो अडियल होता है
जो नहीं कह सकता है
वह तपता भी है, जलता भी है, जगमगाता भी है
तो सीधा होना व्यर्थ है
मुखर विरोध में ही अर्थ है
लगता तो ऐसा ही है
पर इसमें भी एक शर्त है
तांबे में गुजरती बिजली दिखती तो नहीँ, तपती भी नहीं
पर भूल से भी कहीं छू दो
तो वह ऐसी पटखनी देगी कि तारे दिखने लगें
सीधा, सरल, सच्चा न तपता है, न जलता है
पर यदि छेड़ोगे
तो उस जैसा भयानक भी कोई नहीं
— मुकुन्द जोशी

लेखक का परिचय
नाम: मुकुन्द नीलकण्ठ जोशी
जन्म: 13 जुलाई, 1948 ( वास्तविक ), 1947 ( प्रमाणपत्रीय ), वाराणसी
शिक्षा: एम.एससी., भूविज्ञान (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय), पीएचडी. (हे.न.ब.गढ़वाल विश्वविद्यालय)
व्यावसायिक कार्य: डी.बी.एस. स्नातकोत्तर महाविद्यालय, देहरादून में भूविज्ञान अध्यापन
रुचि:
- विज्ञान शोध एवं लेखन
25 शोध पत्र प्रकाशित
एक पुस्तक “मैग्नेसाइट: एक भूवैज्ञानिक अध्ययन” प्रकाशित - लोकप्रिय विज्ञान लेखन
एक पुस्तक “समय की शिला पर” (भूविज्ञान आधारित ललित निबन्ध संग्रह) तथा एक विज्ञान कविता संग्रह “विज्ञान रस सीकर” प्रकाशित
अनेक लोकप्रिय विज्ञान लेख प्रकाशित, सम्पादक “विज्ञान परिचर्चा” ( उत्तराखण्ड से प्रकाशित लोकप्रिय विज्ञान पत्रिका ) - हिन्दी साहित्य
प्रकाशित पुस्तकें - युगमानव (श्रीकृष्ण के जीवन पर आधारित खण्डकाव्य)
- गीत शिवाजी (छत्रपति शिवाजी के जीवन पर गीत संग्रह)
- साहित्य रथी ( भारतीय साहित्यकार परिचय लेख संग्रह )
- हिन्दी नीतिशतक (भर्तृहरिकृत “नीतिशतकम्” का हिन्दी समवृत्त भावानुवाद)
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख एवं कविताएँ प्रकाशित
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।