घूस लेने या देने के मामलों में प्रत्यक्ष सबूत नहीं होने पर भी हो सकती है सजाः सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में पांच जजों के संविधान पीठ ने 22 नवंबर को इस मामले में सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था। जस्टिस एस अब्दुल नज़ीर, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस ए एस बोपन्ना, जस्टिस वी रामासुब्रमण्यन और जस्टिस बीवी नागरत्ना की 5-न्यायाधीशों की पीठ ने इस पर फैसला दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालत को भ्रष्ट लोगों के खिलाफ नरमी नहीं बरतनी चाहिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
कोर्ट ने कहा कि भ्रष्ट अधिकारियों पर मामला दर्ज किया जाना चाहिए और उन्हें दोषी ठहराया जाना चाहिए, क्योंकि भ्रष्टाचार ने शासन को प्रभावित करने वाले एक बड़े हिस्से को ले लिया है। ईमानदार अधिकारियों पर इसका प्रभाव पड़ता है। जब उसके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष साक्ष्य नहीं हैं, तो परिस्थितिजन्य साक्ष्य के आधार पर भी एक भ्रष्ट सरकारी अधिकारी को दोषी ठहराया जा सकता है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।