हिंदी कविता, कप्फू चौहान के उप गढ़ में, वीरान नजारा क्या देखा !
कप्फू चौहान के उप गढ़ में, वीरान नजारा क्या देखा !
उषा काल में जब मैं जागा, कु कु कु आवाज सुनी !
कहीं फाख्ता कप्फू बोला, स्मरण हुए रामतीर्थ मुनि।
कप्फू चौहान के उप गढ़ में, वीरान नजारा क्या देखा !
शस्य श्यामला इस धरती पर, क्यों खींच दी लक्ष्मणरेखा।
विराट दृश्य देखा झील का, नौकायन को मन भाया ।
पास डोबरा रौलियाकोट तक, आल्हादित थी यह काया।
कल रव स्वर से खगकुल के, संगीत फव्वारा फूट पड़ा ।
कप्फू चौहान के उप गढ़ में अब, सागर का निर्माण हुआ ।
स्वर्ण रश्मियां उगते सूरज की, मुख मंडल पर आन पड़ी।
लहरों में तूफान आ गया, सृष्टि समाई ज्योति जली।
चहल पहल की इस धरती पर, क्यों आज उदासी छाई है ?
मां की ममता की चादर वह, क्यों हमसे है अब दूर हुई ?
समा गई संस्कृति पानी में, एक कथित इतिहास बना !
कप्फू चौहान के उप गढ़ में, सुमन सागर विस्तार हुआ।
कहीं किवदंती हम भी बने ना, जैसे कप्फू का गढ़ है बना ।
रामतीर्थ सुमन सागर में, सामंत शाही का पाप धूला ।
उषा काल में जब मैं जागा, कु कु कु आवाज सुनी !
कहीं फाख्ता कप्फू बोला, स्मरण हुए रामतीर्थ मुनि !
कवि का परिचय
नाम -सोमवारी लाल सकलानी, निशांत।
मूल निवास – हवेली (सकलाना) टिहरी गढ़वाल।
निवास -सुमन कॉलोनी चंबा, टिहरी।
शिक्षा – एम ए (अंग्रेजी, हिंदी) बी एड
उपलब्धियां – विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेख, कविताएं, समीक्षाएं, कहानियां,संस्मरण आदि प्रकाशित।
दिव्य – श्री खंड (काव्य कृति)
छंदवासिनी (जय श्री नंदा जी)
पुरस्कार – स्व बचन सिंह नेगी स्मृति सम्मान 2012
भूषण अवॉर्ड 2013
श्री देव सुमन साहित्य शिक्षा सम्मान 2016
हेंवलवनी सम्मान 2019
सचिव – उत्तराखंड शोध संस्थान ,चंबा टिहरी गढ़वाल इकाई।
सेवानिवृत्त प्रवक्ता ( प्रभारी प्रधानाचार्य) रा इ का कांडीखाल, टिहरी गढ़वाल।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।