Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

November 8, 2024

गढ़वाली कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’ की गजल- इनै मोबैल उनै टेलीविजन

गढ़वाली कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’ की गजल- इनै मोबैल उनै टेलीविजन।

इनै मोबैल उनै टेलीविजन

इनै मोबैल – उनै टेलीविजन, चल़णू च.
कैथैं यो – कैथैं वो प्रोग्राम, भलु लगणू च..

दीन-दुन्य से बेखबर, कख जांणा छवां हम,
आज हमरु यो मन, हमथैं किलै ठगणू च..

खांण दौं बि- मोबैल, सींण दौं बि- मोबैल,
तब बोदीं-न निंद आंणी, न खांणू पचणू च..

उल्टु – सीधु खैंण्यूं , बिगर चबयां- घुऴण्यूं,
पेट हूंणा-खराब, रात-दिन गऴ्या तकणूं च..

झंकरा बढ्यां छीं, लत्ता-कपड़ा गढ़्यां छीं,
दौं- दौं खांणा कु, कुछ- न- कुछ मंगणू च..

घर कु बजट- लैगे बढण, दुख कैम बटंण,
घर- गृहस्थी बोझ, झड़ि कनम- सकणू च..

‘दीन’ भितरी-भितर खमोसि, बिगड़ीं बोल,
बात पीछा जै- कैकु, ऐंडि- बैंडि बकणूं च..

कवि का परिचय
नाम-दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’
गाँव-माला भैंसोड़ा, पट्टी सावली, जोगीमढ़ी, पौड़ी गढ़वाल।
वर्तमान निवास-शशिगार्डन, मयूर बिहार, दिल्ली।
दिल्ली सरकार की नौकरी से वर्ष 2016 में हुए सेवानिवृत।
साहित्य-सन् 1973 से कविता लेखन। कई कविता संग्रह प्रकाशित।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

1 thought on “गढ़वाली कवि एवं साहित्यकार दीनदयाल बन्दूणी ‘दीन’ की गजल- इनै मोबैल उनै टेलीविजन

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page