गौरव भारती और गोलेन्द्र पटेल को मिला रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार
यूपी में काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के भोजपुरी अध्ययन केंद्र के राहुल सभागार में डॉ रविशंकर उपाध्याय स्मृति संस्थान, वाराणसी के तत्वावधान में रविशंकर उपाध्याय स्मृति युवा कविता पुरस्कार से दो युवा कवियों गौरव भारती और गोलेन्द्र पटेल को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता भोजपुरी अध्ययन केंद्र के समन्वयक प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने की। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)अध्यक्षीय वक्तव्य में प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने कहा कि आज आधुनिक हिंदी साहित्य के प्रणेता भारतेन्दु बाबू की 172वीं जयंती भी है। इस अवसर पर यह आयोजन महत्वपूर्ण है। भारतेन्दु बाबू ने हिंदी में जातीयता और भारतीयता को लेकर जो बात उठायी है वह बेहद जरूरी है। दोनों सम्मानित कवियों को शुभकामनाएं देते हुए प्रो. शुक्ल ने कहा कि जब संघर्ष भयानक होता है, तब उसका प्रतिरोध भी उतना ही आक्रामक होता है। दोनों कवि नई सदी के हिंदी कविता के गौरव हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि गौरव में अनुशासन अधिक है तो गोलेन्द्र में आलोचना ज्यादा। यदि दोनों एक दूसरे की खूबियों को अपना लें तो कविता के बेहतर भविष्य का खांका खींचा जा सकता है। दोनों कवियों में भूगोल का गहरा प्रभाव और उसके प्रति गहरा आदर है। संघर्ष और प्रेम के उदात्त पक्ष दोनों कवियों में दिखाई देते हैं। ये दोनों क्रियोन्मुख सहभागिता के कवि हैं जिनमें गहरी काव्य दृष्टि मौजूद है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सम्मान के इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए प्रो विजयनाथ मिश्र ने कहा कि गौरव भारती और गोलेन्द्र पटेल की उपस्थिति से हिंदी कविता समृद्ध हुई है।इन दोनों कवियों में नई सदी की आपाधापी में मानवीय संवेदनाओं को जिस तरह से व्यक्त किया है वह अनूठा हैं। गोलेन्द्र व गौरव को उन्होंने शब्दजीवी कवि के रूप में रेखांकित किया।इन दोनों की कविताएं नई ऊर्जा का संचार करती हैं और समाज में श्रमशक्ति की शिनाख्त करती हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आत्म वक्तव्य देते हुए युवा कवि गोलेन्द्र पटेल ने कहा कि परंपरा को स्वीकार करना अच्छा है किंतु परंपरा का अन्धानुसरण ठीक नहीं। इस पुरस्कार को मैं परंपरा के पथ के जीर्णोद्धार के रूप में स्वीकार करता हूँ। कविता आत्मा की औषधि है जो लोकजीवन से विलुप्त हो रहे शब्दों को बचाने की कोशिश करती है। गोलेन्द्र ने अपनी कुछ कविताओं का पाठ भी किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
आत्म वक्तव्य देते हुए युवा कवि गौरव भारती ने कहा कि भीड़ से अलग अपनी आत्मा को बचाए रखना उतना ही जरूरी जितना सांस लेना। कला हमें परिमार्जित करती है और एक नजरिया देती है। लिखना मेरे लिए एक यात्रा की तरह है और मैं हमेशा यात्री बने रहना चाहता हूं। इस अवसर पर कवि गौरव ने ‘नैराश्य’, ‘तुम्हारे साथ थोड़ा मनुष्य हुआ मैं’ जैसी कविता का पाठ किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरव भारती पर वक्तव्य देते हुए युवा आलोचक डॉ. विन्ध्याचल यादव ने कहा कि घनघोर मशीनीकरण के दौर में प्रकृति हिंदी कविता की परंपरा में मौजूद रही है। यह जबतक हमारी सभ्यता और हमारे व्यवहार में रहेगी, मनुष्य का समाज जीवित रहेगा। गौरव की कविताओं में व्यवस्था विरोध और लोकतंत्र की आलोचना मिलती है। गौरव ने जितना आड़े हाथों सत्ता को लिया है उतना ही जनता को भी। उनकी ‘भोंपू’ जैसी कविता में बार बार जनता को भेड़ बकरियों की तरह सम्बोधित करते हैं। यह कवि की खास भंगिमा है। उनकी कविताओं में समय का दंश पीड़ित करता है और विस्थापन की पीड़ा कवि केदारनाथ सिंह के काव्य परंपरा की याद दिलाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गोलेन्द्र पटेल पर वक्तव्य देते हुए प्रतिष्ठित आलोचक प्रो. कमलेश वर्मा ने कहा कि इतनी छोटी उम्र में अपनी कविता की ओर ध्यान आकर्षित करना एक कवि के रूप में गोलेन्द्र की बड़ी उपलब्धि है। गोलेन्द्र आज के समय में एक ऐसे कवि हैं जो गांव को जानते भी है और जीते भी हैं। उनकी कविताओं के शीर्षक, काव्यवस्तु गांव के नए विषयों को उठाते हैं। ये है अपनी कविताओं में श्रम और संघर्ष का ब्यौरा देते चलते हैं। गोड़ीन, डोमिन, जंगरैत जैसी कविताओं में जो दृश्य हैं वे हिंदी कविता में नए हैं। गोलेन्द्र की कविता में आलोचना की गहरी समझ है तो रूपक गढ़ने की प्रवृत्ति भी मिलती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
स्वागत वक्तव्य डॉ. रविशंकर उपाध्याय स्मृति संस्थान के सचिव डॉ वंशीधर उपाध्याय ने दिया। संचालन युवा कवि डॉ अमरजीत राम ने किया। धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग, बीएचयू में असिस्टेंट प्रो. डॉ रविशंकर सोनकर ने किया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र के अंतर्गत काव्य पाठ का आयोजन किया गया। इसमें विनय विस्वा, वरिष्ठ कवि शैलेन्द्र, शोध छात्र मनकामना शुक्ल, प्रतीक त्रिपाठी, विष्णुकांत, विजय, गौरव भारती, गोलेन्द्र पटेल, शोध छात्रा आस्था वर्मा, अक्षत पाण्डेय ने अपनी कविताओं का पाठ किया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इस अवसर पर डॉ. अमरजीत राम ने ‘मटके की चीख’, ‘डोम की अन्तरकथा’ और शोध छात्र आर्यपुत्र दीपक ने ‘प्रेम की मणिकर्णिका’ जैसी कविताओं का पाठ किया। इस अवसर पर महत्वपूर्ण कवि प्रो. श्रीप्रकाश शुक्ल ने भी ‘लौटना’ जैसी कविता का पाठ किया। कार्यक्रम के द्वितीय सत्र का संचालन परास्नातक के छात्र निखिल द्विवेदी ने किया। धन्यवाद ज्ञापन हिंदी विभाग, बीएचयू के असिस्टेंट प्रो. विंध्याचल यादव ने किया। इस अवसर पर डॉ नवनीत, डॉ विजय, डॉशैलेन्द्र , डॉ. विवेक सिंह, डॉ. प्रभात मिश्र, डॉ.शिल्पा सिंह, डॉ. महेंद्र कुशवाहा समेत अनेक छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

Bhanu Prakash
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भानु बंगवाल
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।




