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May 16, 2025

डॉ. मुल्ला आदम अली की तीन बाल कविताएँ- प्रदूषण है शैतान, हमारा पर्यावरण और नीम का पेड़

प्रदूषण है शैतान
काला धुआँ, कूड़े के ढेर,
सांसें रुके, दुखी है शहर।
पानी गंदा, हवा भी भारी,
प्रदूषण ने मुसीबत डाली।
पेड़ कटे, धूप ज़्यादा आई,
धरती मां ने चिंता जताई।
गाड़ियाँ दौड़ीं धुएं से भरी,
खुशियाँ सबकी लगती फीकी।
नदी बोली – मत मुझमें फेंको,
प्लास्टिक, तेल, कूड़ा-धोको।
हवा बोली – मुझे बचाओ,
पेड़ लगाओ, प्यार बढ़ाओ।
बच्चे बोले – हम हैं तैयार,
करेंगे धरती से सच्चा प्यार।
कूड़ा फेंकेंगे डिब्बे में,
साइकिल चलाएँगे मन के जी में।
प्रदूषण को दूर भगाएँगे,
धरती को फिर हरा बनाएंगे।
साफ-सुथरी हो दुनिया सारी,
खुश हो जाए हर जन-न्यारी। (दूसरी कविता अगले पैरे में देखिए)

हमारा पर्यावरण
नीला अम्बर, हरी ज़मीन,
यही तो है दुनिया रंगीन।
फूल, पेड़ और बहती नदियाँ,
इनसे ही तो है खुशियाँ पक्की सच्चियाँ।
पंछी गाएँ, तितली नाचे,
बोलें – हमसे मत तुम कचरा फेंको आके!
पेड़ लगाओ, जल बचाओ,
धरती मां को हंसाओ।
धुआँ नहीं, हवा को साफ़ रखो,
जहाँ रहो, वहां पेड़-पौधे रखो।
बिजली-पानी व्यर्थ न जाए,
बचपन से हम सीख अपनाएं।
धरती हमारी प्यारी है,
सबसे सुंदर सवारी है।
आओ मिलकर इसे बचाएं,
हरा-भरा संसार बनाएँ। (तीसरी कविता अगले पैरे में देखिए)

नीम का पेड़
हमारे आंगन में है एक पेड़,
नीम का पेड़, बड़ा ही गढ़।
छांव देता, हवा भी ठंडी,
उसके नीचे लगे हैं मंडी।
पत्ते उसके थोड़े कड़वे,
पर काम आते सबके घर में।
दवा बनें, नहलाएं तन,
नीम है बच्चों का सच्चा मन।
पंछी बैठे उसकी डाली,
झूला बनती नीम की प्याली।
दादी बोली – “इससे सीखो,
नीम सरीखा मीठा बनो।
नीम हमें सिखलाता है,
सादा जीवन सबसे अच्छा है।
पेड़ लगाओ, नीम लगाए,
धरती मां भी खुश हो जाए।
कवि का परिचय
डॉ. मुल्ला आदम अली
तिरुपति, आंध्र प्रदेश।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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