दून में धार्मिक स्थलों पर भी चल रहा बुलडोजर, त्योहारी सीजन में खंडहर हो रहा शहर
अतिक्रमण का कोई भी पक्ष नहीं लेगा। इसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ जो समय चुना, उसे सही नहीं ठहराया जा सकता है। देहरादून शहर के मुख्य बाजारों, गलियों और चौराहों के बाद अब धार्मिक स्थलों के अतिक्रमण का नंबर आ गया है। ऐसे में दीपावली के आगमन से पहले जहां शहर चमकना और दमकना चाहिए था, वहीं अब खंडहर जैसा नजर आ रहा है।
मार्च माह में कोरोना के चलते लगे लॉकडाउन से तो व्यापार की कमर ही तोड़ दी। यही नहीं विभिन्न निजी प्रतिष्ठानों में कार्यरत लोगों में कई की नौकरी चली गई। लोगों की जेब खाली हुई और बाजार मंदा हुआ। अब अनलॉक के बाद धीरे-धीरे व्यवस्था पटरी पर आने लगी, लेकिन अतिक्रमण के चलते शहर की अधिकांश सड़कों के किनारे टूटे भवन व दुकान नजर आ रही हैं।
हाईकोर्ट के आदेश से चल रही कार्रवाई
हाईकोर्ट ने एक जनहित याचिका के तहत दून शहर से अतिक्रमण हटाने के निर्देश दिए थे। वर्ष 2018 से चला अभियान आज तक पूरा नहीं हो सका। शुरुआत में अतिक्रमण के खिलाफ अभियान ने जो गति पकड़ी, बाद में कुंद होने लगी। अब फिर अक्टूबर माह में प्रशासन ने अतिक्रमण के खिलाफ अभियान की शुरुआत की।
इसके तहत पहले बाजारों और मुख्य सड़कों के किनारे से अतिक्रमण हटाया गया। अब धार्मिक स्थलों का नंबर आ गया है। इन स्थलों से अतिक्रमण को स्वयं हटाने के लिए टास्क फोर्स ने मंगलवार तक का समय दिया था। जब संस्थाओं ने खुद अतिक्रमण नहीं हटाया तो प्रशासन को बुलडोजर चलाना पड़ रहा है।
धार्मिक स्थलों की स्थिति
अतिक्रमण हटाने के लिए दून में 22 मंदिर, छह मजार, तीन गुरुद्वारा, दो मस्जिद और एक कब्रिस्तान के अतिक्रमण चिह्नित किए गए थे। इनमें से 18 प्रतिष्ठानों के अतिक्रमण हटा दिए गए हैं। इनमें मंदिर के 12, गुरुद्वारा के तीन, मस्जिद के दो और मजार का एक अतिक्रमण है।
नहीं सुना निवेदन तो हुई बहस
राजधानी देहरादून धार्मिक प्रतिष्ठानों के अतिक्रमण हटाने के दौरान रेसकोर्स बन्नू चौक के समीप हिंदू संगठनों ने मूर्ति स्वयं हटाने के लिए जिला प्रशासन से निवेदन किया। प्रशासन ने एक न सुनी। इसके बाद एसडीएम और हिंदू संगठन के बीच झड़प भी हुई।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।