Loksaakshya Social

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

Social menu is not set. You need to create menu and assign it to Social Menu on Menu Settings.

December 12, 2024

एएसआई ने कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा, कुतुबमीनार स्मारक है, कोई पूजा स्थल नहीं

दिल्ली में महरौली स्थित ऐतिहासिक कुतुब मीनार में हिन्दू पक्ष की पूजा के अधिकार की याचिका पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने निचली अदालत में हलफनामा दाखिल कर दिया है।

दिल्ली में महरौली स्थित ऐतिहासिक कुतुब मीनार में हिन्दू पक्ष की पूजा के अधिकार की याचिका पर पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआइ) ने निचली अदालत में हलफनामा दाखिल कर दिया है। हलफनामे में एएसआइ ने हिंदू पक्ष की याचिका का विरोध किया।कहा कि ये पुरातात्विक महत्व का स्मारक है, ये कोई पूजास्थल नहीं है। इसलिए यहां किसी को पूजा पाठ करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
एएसआइ के मुताबिक, पुरातात्विक संरक्षण अधिनियम 1958 के मुताबिक संरक्षित स्मारक में सिर्फ पर्यटन की इजाजत है। किसी भी धर्म के पूजा पाठ की इजाजत नहीं है। जब ये कुतुब मीनार परिसर एएसआइ के संरक्षण में आया है, तब भी वहां किसी भी धर्म लोग कोई उपासना या पूजा पाठ नहीं कर रहे थे। अब कुतुब मीनार का स्टेटस में छेड़छोड़ नहीं कर सकते।
आज दिल्ली की दक्षिण जिला कोर्ट साकेत कोर्ट में महरौली में कुतुब मीनार परिसर के अंदर हिंदू और जैन देवी-देवताओं की बहाली और पूजा के अधिकार की मांग वाली याचिका पर सुनवाई चल रही है। याचिकाकर्ता की तरफ से दावा किया गया है कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रदर्शित एक संक्षिप्त इतिहास बताता है कि मोहम्मद गौरी की सेना के कमांडर कुतुबदीन ऐबक द्वारा 27 मंदिरों को धवस्त कर दिया गया था और कुव्वत-उल-इस्लाम को परिसर के अंदर खड़ा कर दिया था।
ये दावा भी किया गया है कि कुतुब मीनार परिसर में हिंदू देवताओं और गणेश, विष्णु और यक्ष समेत देवताओं की स्पष्ट तस्वीरें और मंदिर के कुओं के साथ कलश और पवित्र कमल जैसे कई प्रतिक हैं, जो इस इमारत के हिंदू मूल को दर्शाते हैं। याचिकाकर्ता की ओर से ये भी कहा गया है कि यहां ध्रुव, मेरुध्वज के परिसर के अंदर भगवान विष्णु और भगवान ऋषभ देव, भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान सूर्य और देवी गौरी और जैन तीर्थकारों के अलावा नक्षत्रों के साथ विशाल और ऊंचे हिंदू और जैन मंदिर मौजूद थे। मेरु टॉवर को अब कुतुब मीनार, कुतुब टॉवर कहा जाता है। एएसआइने अपने हालफनामे मे कहा हैं की ये एक स्मारक हैं। यहां किसी को पूजा की इजाजत नहीं हैं।

Website | + posts

लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page