अशोक आनन का गीत-नफ़रत हार गई
मुहब्बत जीत गई।
नफ़रत हार गई।
प्रेम का सोत
कभी सूख नहीं सकता।
बरसने से नेह
कभी रूक नहीं सकता।
मुहब्बत पर सब कुछ
नफ़रत वार गई।
मुहब्बत से
मुहब्बत के दीप जले हैं।
नफ़रत को
मुहब्बत के सूरज खले हैं।
मुहब्बत के ताने
नफ़रत मार गई।
मुहब्बत के
फूल हमने खिलाए हैं ।
उनकी महक से
गुलशन महकाए हैं।
मुहब्बत के कारण
नफ़रत पार गई।
दिलों में
हमने मुहब्बत बसाई है।
नफ़रत
हमने गले नहीं लगाई है।
मुहब्बत की पाती
नफ़रत डार गई।
कवि का परिचय
अशोक ‘आनन’, जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।