अशोक आनन की कविता- घर के बिना
घर के बिना
झूठ हमसे कहा नहीं जाता।
सत्य उनसे सहा नहीं जाता।
भले हमारे ख़िलाफ़ हो हवा
उसके संग बहा नहीं जाता।
चाहे जर्जर हो घर हमारा
बरसात में ढहा नहीं जाता।
अमीरों से ग़रीबों की तरह
पसीने से नहा नहीं जाता।
परदेश में जा, अहसास हुआ
घर के बिना रहा नहीं जाता।
भले कितना अपमानित कर दो
दिल से दर्द मुआ नहीं जाता।
चाहे कितना भी प्यासा हो
प्यासे पास कुआं नहीं जाता।
कवि का परिचय
अशोक ‘आनन’, जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
नोटः सच का साथ देने में हमारा साथी बनिए। यदि आप लोकसाक्ष्य की खबरों को नियमित रूप से पढ़ना चाहते हैं तो नीचे दिए गए आप्शन से हमारे फेसबुक पेज या व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ सकते हैं, बस आपको एक क्लिक करना है। यदि खबर अच्छी लगे तो आप फेसबुक या व्हाट्सएप में शेयर भी कर सकते हो।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।