अशोक आनन की कविता- बातों का स्वेटर
हम कहें, तुम सुनो;
तुम कहो, हम सुनें
आओ! बैठो
बातों का स्वेटर बुने।
उम्र का छौना
भागा जा रहा है।
हाथ हमारे वह
नहीं आ रहा है।
रास्ते भर उसे
मिलीं न अड़चनें।
चश्मे के बिना
हमें दिखें न सपने।
तानों के तीर
ताने, खड़े अपने।
खाए जाएं न अब
हमसे गुड़ – चने।
यादों की गठरी अब
खुल – खुल जाए।
नैनो की गगरी
छलक – छलक जाए।
बचपन की नाव में
लगे हम बहने।
सफ़र के हमसफ़र
याद हमें आए।
यादें जिनकी अब
मिटाई न जाए।
सुलझाओ जितनी
उलझाएं उलझनें।
जीवन का आख़री
दांव भी हारे।
आंखों से ओझल
हुए अब किनारे।
मंझधार में हैं –
सांसों के सफीने।
कवि का परिचय
अशोक ‘आनन’, जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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