अशोक आनन की कविता- आदमी परेशान है, काग़ज़ों में अमीर है, आज भी जो फ़कीर है
आदमी
परेशान है।
काग़ज़ों में
अमीर है।
आज भी जो
फ़कीर है।
खलिहान में
न धान है।
आज रहा न
वो बेघर।
भले वगैर
छत का घर।
उखड़ी घर
दालान है। (कविता जारी, अगले पैरे में देखिए)
घर में
बस्तर- झाबुआ।
भूख़ा
आज भी रमुआ।
गिरवी घर
मुस्कान है।
आंखें
मासिमराम हैं।
खीसे में
न छदाम है।
जीवन
बना लगान है।
कवि का परिचय
अशोक आनन
जूना बाज़ार, मक्सी जिला शाजापुर मध्य प्रदेश।
Email : ashokananmaksi@gmail.com
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