विश्वविद्यालय से संबद्धता के प्रकरण लंबित रहने से कॉलेजों के सामने गंभीर समस्या: डॉ. सुनील अग्रवाल
एसोसिएशन ऑफ सेल्फ फाइनेंसड इंस्टीट्यूटस उत्तराखंड के अध्यक्ष और अखिल भारतीय अनऐडेड विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय एसोसिएशन के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि स्व वित्त पोषित कॉलेज संबद्धता के प्रकरण में श्री देव सुमन विश्वविद्यालय और राजभवन के बीच पेंडुलम की स्थिति में है। किसी भी कॉलेज को कोर्स शुरू करने के लिए विश्वविद्यालय से संबद्धता के लिए आवेदन करना होता है। विश्वविद्यालय अपने निरीक्षण टीम के माध्यम से कॉलेज की आधारभूत सुविधाओं का निरीक्षण कर संबद्धता पत्र की फाइल राज भवन भेजता है। इस बार विश्वविद्यालय और राजभवन के बीच पेंडुलम बने कॉलेज संबद्धता पत्र का इंतजार करते रह गए हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि राज भवन की ओर से 22 नवंबर 2017 को संबद्धता के विषय में परिपत्र जारी किया था, जिसमें स्पष्ट किया गया था कि विश्वविद्यालय द्वारा मानक पूर्ण होने की स्थिति में संपूर्ण औपचारिकताएं पूर्ण होने के बाद ही संबद्धता प्रस्ताव राजभवन भेजा जाएगा। किसी भी दशा में अपूर्ण संबद्धता प्रस्ताव राज भवन ना भेजे जाए। राजभवन में 30 दिन के भीतर संबद्धता प्रकरण का निस्तारण हो जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि ऐसे में विश्वविद्यालय के निरीक्षण टीम के बाद दो-दो साल तक संबद्धता प्रकरणों का निस्तारण न होना कॉलेजों के लिए अत्यंत परेशानी पैदा करने वाला हो चुका है। वर्तमान सत्र में कुछ कॉलेजों ने नए कोर्सों के लिए समय रहते आवेदन किया था। विश्वविद्यालय के निरीक्षण टीम के निरीक्षण के बाद संबद्धता की प्रत्याशा में उन कॉलेजों ने छात्रों को प्रवेश भी दे दिया था, लेकिन कई प्रकरणों में 2 साल से संबद्धता के प्रकरण लंबित हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि वर्तमान सत्र में उन्ही कॉलेजों के कोर्स समर्थ पोर्टल पर अपलोड हुए, जिनकी संबद्धता का पत्र राज भवन से आ गया था। जिनकी संबद्धता के प्रकरण विश्वविद्यालय या राज भवन में लंबित है। ऐसे में कॉलेज, विश्वविद्यालय और राज भवन के बीच में पेंडुलम की स्थिति बनी है। साथ ही कॉलेज छात्रों को संतोषजनक स्थिति नहीं बता पा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि इस स्थिति को देखते हुए जिन कॉलेजों ने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से अपनी संबद्धता श्री देव सुमन विश्वविद्यालय में शिफ्ट करने का विचार बनाया था। अब अपने निर्णय पर पुनर्विचार करने को विवश हैं। क्योंकि संबद्धता के प्रकरण लंबित रहने से छात्रों के प्रवेश में कॉलेज की विश्वसनीयता संदेह के घेर में रहती है। प्रवेश के बाद छात्रों की मिलने वाली स्कॉलरशिप में संबद्धता पत्र न होने के कारण समस्या आती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
डॉ. सुनील अग्रवाल ने कहा कि इस विषय पर कॉलेजों की ओर से समय-समय पर विश्वविद्यालय को अवगत कराया जाता रहा है, लेकिन उनकी समस्या का कोई निराकरण विश्वविद्यालय स्तर पर करने का कोई प्रयास विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा नहीं किया गया। यह स्थिति प्रदेश के कॉलेजों एवं छात्रों के लिए अत्यंत दुविधा पूर्ण है। इसका निराकरण विश्वविद्यालय शासन और राजभवन को प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए। उन्होंने कहा एक और शिक्षा मंत्री सत्र को नियमित करने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण रखे हुए हैं, लेकिन विश्वविद्यालय की कार्य प्रणाली संतोषजनक नहीं है।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।