कहीं आप भी तो नहीं लेते खर्राटें, हो जाइए सावधान, राहत के लिए आजमा सकते हैं ये आसान तरीके
आपके साथ कहीं ऐसा तो नहीं होता कि जब सुबह उठते हो तो घर में अन्य सदस्य खर्राटों की शिकायत करते हों। सभी कहते हों कि तुम्हारी खर्राटों से उनकी भी नींद खराब हो गई। क्योंकि दुनिया में बहुत से लोग खर्राटों से परेशान हैं। खुद तो उन्हें खर्राटों की समस्या रहती ही है, लेकिन आसपास के लोग भी उनके खर्राटों से परेशान रहते हैं। वहीं, यदि कोई दूसरा नहीं बताए तो कई लोगों को तो ये भी पता नहीं चलता कि वह खर्राटें लेता है। भारत में भी खर्राटों की समस्या बढ़ने लगी है। यदि दुनिया की बात करें तो ब्रिटेन की लगभग आधी आबादी सोने के दौरान किसी न किसी समय खर्राटे लेती है। ऐसे में खर्राटों के प्रति हमें सचेत हो जाना चाहिए। साथ ही इसे दूर करने के उपाय करने चाहिए। यहां हम आपको खर्राटों के कारण, लक्षण के साथ ही उन्हें दूर करने के कुछ उपाय बताने जा रहे हैं। ऐसे में खबर ध्यान से पढ़िए। यदि खबर अच्छी लगे तो इसे अन्य लोगों को शेयर भी कीजिए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गंभीर समस्या के संकेत
आमतौर पर खर्राटों को गहरी नींद का प्रतीक माना जाता है। आपने कई दफा सुना होगा कि खर्राटे लेने वाला व्यक्ति अच्छी नींद सो रहा है। लेकिन, क्या आप जानते हैं, खर्राटों वाली नींद अच्छी नींद नहीं होती है, ये गंभीर समस्या के संकेत होते हैं। खर्राटे लेने वाले व्यक्ति को खुद पता नहीं होता है कि वे खर्राटे मारते हैं। जिन लोगों को खर्राटे की समस्या होती है, उन्हें जागने के बाद सूखा मुंह और गले में जलन का अहसास होता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
क्यों आते हैं खर्राटे
सवाल ये है कि खर्राटे क्यों आते हैं। खर्राटे आने के कई कारण हो सकते हैं। ऐसा खर्राटे जीभ, गले, मुंह और श्वास नली के कारण हो सकता है। सांस अंदर लेने और छोड़ने पर ये कंपन करते हैं, जिससे खर्राटे आते हैं। ऐसा इसलिए होता है, क्योंकि जब आप सो रहे होते हैं तो शरीर के ये हिस्से शिथिल और संकुचित हो जाते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट के अनुसार, खर्राटे सांस लेने की स्थिति में रुकावट डालते हैं, जो अक्सर नाक और गले में देखने को मिलती है। मोटापा, ज्यादा सिगरेट और शराब का सेवन, अनिद्रा या नाक में एलर्जी आदि के कारण खर्राटे ले सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खर्राटे लेना कब हो सकता है खतरनाक
एक्सपर्ट के अनुसार, खर्राटे लेते समय सांस रुक जाती है, तो यह स्थिति खतरनाक होती है। अगर आप दिन में भी सोत समय खर्राटे लेते हैं, तो यह भी गंभीर समस्या हो सकती है। ज्यादा वजन होने पर लोगों को खर्राटों की समस्या हो जाती है। कुछ रोग होने के चलते भी खर्राटे की समस्या होती है। उदारण के लिए स्लीप एपनिया होने पर खर्राटों का जोखिम रहता है। इस समस्या में सोने के दौरान सांस रुक-रुक कर चलती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये भी हैं कारण
मोटापा–वजन बढ़ने के कारण भी खर्राटे आते हैं। जब किसी का वजन बढ़ता है, तो उसकी गर्दन पर ज्यादा मांस लटकने लगता है। लेटते समय इस मांस के कारण सांस की नली दब जाती है, और सांस लेने में दिक्कत होने लगती है।
खूब शराब पीना- कई दर्द निवारक दवाओं की तरह ही अल्कोहल भी शरीर की मांसपेशियों के खिंचाव को कम करती है, और उन्हें विस्तार देती है। कई बार बहुत अधिक अल्कोहल के सेवन से गले की मांसपेशियां फैल जाती हैं, जिससे खर्राटे उत्पन्न हो सकते हैं।
मांसपेशियों में कमजोरी– जब गले और जीभ की मांसपेशियां बहुत शांत और शिथिल हो जाती हैं तो ये लटकने लगती हैं। इससे रास्ता रूक जाता है। आमतौर पर गहरी नींद, अधिक एल्कोहॉल का सेवन या नींद की गोलियां लेने के कारण ऐसा होता है। उम्र के बढ़ने से भी मांसपेशियों का लटक जाना एक आम बात है।
साइनस – खर्राटे आने की एक वजह साइनस है। साइनस के बढ़ने से नाक के छिद्र जाम हो जाते हैं। इतना ही नहीं, खर्राटे की ध्वनि बढ़ने पर भी नाक के रास्ते पर भी प्रभाव पड़ता है। ऐसे में अगर आप साइनस के मरीज हैं तो हमेशा सावधानियां बरतें। यदि आपको जुकाम है, या साइनस बढ़ने से परेशान हैं तो सोने के पहले भाप जरूर लें। इससे सारी गंदगी बाहर आ जाएगी और सांस लेने में आसानी होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोने का गलत तरीका- सोते समय गले का पिछला हिस्सा थोड़ा संकरा हो जाता है। ऐसे में ऑक्सीजन संकरी जगह से अंदर जाती है तो आस-पास के टिशू वायब्रेट होते हैं।
सर्दी– अधिक दिनों तक नाक बंद रहने पर डॉक्टर से जांच करवाएं। नींद की गोलियां, एलर्जी रोधक दवाइयां भी श्वसन मार्ग की पेशियों को सुस्त बना देती हैं, जिनसे खर्राटे आने लगते हैं।
निचले जबड़े का छोटा होना- नीचे वाले जबड़े का छोटा होना भी खर्राटे आने का कारण है। जब व्यक्ति का जबड़ा सामान्य से छोटा होता है, तो लेटने पर उसकी जीभ पीछे की तरफ हो जाती है। इससे सांस की नली ब्लॉक हो जाती है। ऐसे में सांस लेने और छोड़ने के लिए प्रेशर लगाना पड़ता है। इससे वाइब्रेशन होता है।
वात एवं कफ- वात एवं कफ दोष होने पर खर्राटे आते हैं। कफ की अधिकता के कारण मांस की वृद्धि होती है, जो कि श्वास नलिका में अवरोध उत्पन्न करता है। श्वासनलिका में अवरोध से वात की वृद्धि होती है, जिससे ध्वनि उत्पन्न होती है। पुरुषों की सांस लेने की नली महिलाओं की नली से पतली होती है, इसलिये पुरुषों को खर्राटे ज्यादा आते हैं। यह बीमारी आनुवंशिक भी एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति को होती है।
नाक के वायुमार्ग में रूकावट- नाक में विकृति होना जैसे सैप्टम (नाक के रास्ते को दो भागों में बांटने वाली दीवार) का टेढ़ापन, या नाक के अंदर निकले छोटे-छोटे कणों के कारण भी वायुमार्ग में रुकावटें आ सकती हैं। इसके इसके अलावा कुछ लोगों को सर्दी के दिनों में खर्राटे आने लगते हैं।
व्यक्ति की गर्दन अगर ज्यादा छोटी हो, तो भी सोते समय सांस के साथ आवाज आती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बच्चों को खर्राटे आने के कारण
टॉन्सिल्स बढ़ा होना।
जीभ मोटी होना।
जुकाम या हड्डी टेढ़ी होने से नाक में रुकावट।
खर्राटे आने के ये हैं लक्षण
एक्सपर्ट के अनुसार, अगर आप दिन भर आलस या थकान महसूस करते हैं, तो ये भी खर्राटे के लक्षण हो सकते हैं। तनाव, ज्यादा नींद आना, सिर दर्द आदि खर्राटे के लक्षण हो सकते हैं। अन्य लक्षण ये भी हो सकते हैं।
तेज आवाज के साथ सांस लेना और छोड़ना।
थोड़ी-थोड़ी देर में कुछ सेकेंड के लिए सांस का रुकना।
धीरे-धीरे सांस रुकने की रफ्तार और समय बढ़ना।
सोते-सोते सांस ना आने पर हड़बड़ा कर जागना।
दिन भर सुस्ती और आलस्य से भरे रहना।
नींद पूरी होने पर भी दिनभर नींद आना।
थकान महसूस होना।
खर्राटे से कैसे राहत पाएं (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खर्राटे रोकने का ये आसान उपाय
एक विशेषज्ञ ने दावा किया है कि खर्राटों से निजात दिलाने की ट्रिक उनके पास है। मनोवैज्ञानिक कैथरीन हॉल ने हैप्पी बेड्स के साथ साझेदारी में कहा है कि सोने से पहले अंग्रेजी वर्णमाला के स्वर (A,E,I,O,U) को जोर से दोहराना खर्राटों का समाधान हो सकता है। उन्होंने कहा कि इससे गले की मांसपेशियों को मजबूती मिलेगी और सोने के दौरान वह कंपन्न नहीं करेंगे, जो खर्राटों का प्रमुख कारण है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खर्राटे रोकने के लिए घरेलू उपाय
पुदीना के तेल से खर्राटे का इलाज
पुदीने में कई ऐसे तत्व होते हैं जो गले और नाक के छेदों की सूजन को कम करने का काम करते हैं। इससे सांस लेना आसान हो जाता है। सोने से पहले पिपरमिंट ऑयल की कुछ बूंदों को पानी में डालकर गरारा कर लें। इस उपाय को कुछ दिन तक करते रहें। फर्क आपके सामने होगा।
एक कप उबलता हुआ पानी लें। इसमें 10 पुदीने की पत्तियां डालकर ठंडा होने के लिए छोड़ दें। जब यह पानी गुनगुना पीने योग्य हो जाए, तो इसे छानकर या बिना छाने ही पिएं। इससे कुछ ही दिनों में खर्राटों की समस्या ठीक हो जाती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
दालचीनी से खर्राटे का इलाज
खर्राटे की समस्या से निजात पाने के लिए एक ग्लास गुनगुने पानी में तीन चम्मच दालचीनी का पाउडर मिलाकर पिएं। इसके लगातार सेवन से आपको काफी फायदे नजर आएंगे।
लहसुन के प्रयोग से खर्राटे का इलाज
लहसुन, नासिका मार्ग में बलगम के निर्माण और श्वसन प्रणाली की सूजन को कम करने में मदद करता है। अगर आप साइनस के कारण खर्राटे लेते हैं, तो लहसुन आपको राहत प्रदान करेगा। लहसुन में घाव को भरने का गुण होता है। लहसुन ब्लॉकेज को साफ करने के साथ ही श्वसन-तंत्र को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। अच्छी और चैन की नींद के लिए लहसुन का इस्तेमाल बहुत फायदेमंद है। एक या दो लहसुन की कली को पानी के साथ लें। इस उपाय को सोने से पहले करने से आप खर्राटों से राहत पा सकते हैं, साथ ही चैन की नींद ले सकते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
हल्दी से करें इलाज
हल्दी में एंटी-सेप्टिक और एंटी-बायोटिक गुण होते हैं। इसके इस्तेमाल से नाक साफ हो जाता है। इससे सांस लेना आसान हो जाता है। रोज रात को सोने से पहले दूध में हल्दी पकाकर (हल्दी वाला दूध) पीने से फायदा होगा।
ऑलिव ऑयल से करें उपाय
ऑलिव ऑयल एक बहुत ही कारगर घरेलू उपाय है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होता है। यह श्वसन-तंत्र की प्रक्रिया को सुचारू बनाए रखने में बहुत फायदेमंद होता है। यह दर्द को कम करने में मदद करता है। एक छोटी चम्मच ऑलिव ऑयल में सामान मात्रा में शहद मिलाकर, सोने से पहले नियमित रूप से लें। गले में कंपन को कम करने और खर्राटों को रोकने के लिए इस उपाय का प्रयोग करें। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
इलायची से करें खर्राटे रोकने के उपाय
इलायची सर्दी-खांसी की दवा के रूप में काम करती है। यह श्वसन-तंत्र खोलने का काम करती है। इससे सांस लेने की प्रक्रिया आसान होती है। रात को सोने से पहले इलायची के कुछ दानों को गुनगुने पानी के साथ मिलाकर पिएं। इससे समस्या से राहत मिलती है। सोने से कम से कम 30 मिनट पहले इस उपाय को करें।
खर्राटे बंद करने के लिए दूध का सेवन
दूध कई बीमारियों के लिए फायदेमंद है। रात को सोने से पहले कम से कम एक कप दूध अवश्य पिएं। इससे खर्राटे आने बंद हो जाते हैं।
खर्राटा बंद करने के लिए शहद का प्रयोग
एक ग्लास गर्म पानी में दो चम्मच शहद मिलाकर सोने से आधा घंटे पहले पिएं। शहद में एंटी-इन्फ्लेमेट्री गुण होते हैं, जो गले और नाक में सूजन होने से रोकते हैं। इससे सांस लेने में आसानी रहती है।
खर्राटा बंद करने के लिए स्टीम थेरेपी का प्रयोग
नाक बदं होने से खर्राटों की समस्या होने लगती है। इसका सबसे अच्छा समाधान स्टीम थेरेपी है। इससे बंद नाक खुल जाता है, और खर्राटों से राहत मिलती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खर्राटे की समस्या के दौरान आपका खान-पान
भूख से कम भोजन करें-रात को सोने से पहले भोजन ज्यादा मात्रा में ना करें।
खर्राटे से बचने को एक्सरसाइज करें- शरीर के हर भाग जैसे, हाथ, पैर और एब्स की एक्सरसाइज करने से सारी मांसपेशियां टोन हो जाती हैं। गले की मांसपेशियों की एक्सर्साइज होती है। इससे खर्राटे कम आते हैं।
अपना वजन कम करें
आपने कभी गौर किया हो तो खर्राटे लेने वाले लोग अधिकतर मोटापे से ग्रस्त होते हैं। मोटे लोगों के गले के आस-पास बहुत अधिक वसा युक्त कोशिकाएं जमा हो जाती हैं, जिनसे गले में सिकुड़न होती है। इससे ही खर्राटे की ध्वनि निकलती है। यह हवा के रास्ते को भी रोकता है, जिससे भी सोते वक्त खर्राटे अधिक होते हैं। अगर आप खर्राटे से छुटकारा चाहते हैं तो वजन जरूर घटाएं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोने के लिए उचित तकिया रखें
अगर आप अपनी तकिया के खोल को समय-समय पर बदलते या साफ नहीं करते हैं, तो हो सकता है कि आप के खर्राटों की वजह यह भी हो। कई बार सिर की रूसी, या बाल तकिया पर गिरे होते हैं। यह कई सूक्ष्म जीवों के लिए जमीन तैयार कर देते हैं। जब आप सांस लेते हैं, तो ये एलर्जी शरीर की श्वास संबंधी क्षमता को खत्म कर देती है। इससे निद्रा अश्वसन (नींद में सांस लेने की दिक्कत) या स्लीप एपनिया की समस्या होती है, और खर्राटे तेज हो जाते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
सोने के लिए अलग-अलग पोजिशन अपनाएं
वैसे तो पीठ के बल सोना ही आदर्श तरीका है, लेकिन कई बार इस मुद्रा में सोने से खर्राटे की आशंका बढ़ जाती है। इस मुद्रा में तालु व जीभ गले के ऊपरी भाग पर होते हैं। इससे ऊँची पिच में ध्वनि उत्पन्न होती है, और यह खर्राटों में तब्दील हो जाती है। आप अगर करवट के बल सोएंगे तो खर्राटों की आशंका कम होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खर्राटों की समस्या के दौरान परहेज
रात को नहीं जागें-अधिक देर तक नहीं जागें। इसके कारण भी खर्टाटे आने लगते हैं।
नींद की गोलियां का सेवन ना करें-सोने के लिए अगर आप नींद की गोलियों या फिर शराब आदि का प्रयोग करते हैं तो बंद कर देना चाहिए, क्योंकि इससे भी खर्राटे आते हैं।
धूम्रपान या नशीले पदार्थ का सेवन ना करें-धूम्रपान छोड़ दें। यदि आप धूम्रपान करते हैं तो आपके खर्राटों की संभावना अधिक है। स्मोकिंग वायुमार्ग की झिल्ली में परेशानी पैदा करता है। इससे नाक और गले में हवा पास होना रूक जाती है। धूम्रपान का फेफड़े पर सीधा प्रभाव पड़ता है। इससे फेफड़े की क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। कभी-कभी धूम्रपान करने वाले व्यक्ति को सोते वक्त ऑक्सीजन की कमी लगती है। इस स्थिति को स्लीप एपनिया यानी निद्रा अश्वसन (नींद में सांस लेने की समस्या) कहते हैं। इस स्थित में कई बार ऑक्सीजन प्राप्त करने के लिए भी शरीर खर्राटे लेता है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खर्राटा से बचने के लिए व्यायाम और योगासन
कपालभांति और उज्जई प्राणायाम खर्राटों में लाभकर है।
इसके साथ आप अनुलोम विलोम प्राणायाम भी कर सकते हैं।
खर्राटा से बचने के लिए गले की मांसपेशियों की एक्सरसाइज करना लाभकारी साबित हो सकता है।
साइनस वाले मरीज
अगर आप साइनस के मरीज हैं तो हमेशा सावधानियां बरतें। यदि आपको जुकाम है, या साइनस बढ़ने से परेशान हैं तो सोने के पहले भाप जरूर लें। इससे सारी गंदगी बाहर आ जाएगी और सांस लेने में आसानी होगी। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
खर्राटों की परेशानी में करें डॉक्टर से सम्पर्क
एक्सपर्ट के अनुसार, लाइफस्टाइल और डाइट में बदलाव कर वजन कम करें। अगर साइनस या थायरॉइड की समस्या हो, तो डॉक्टर से सलाह लें।
इन परेशानी से पीड़ित हों तो डॉक्टर से करें सम्पर्क
उदास मन हो।
चिड़चिड़ा व्यवहार हो।
एकाग्रता कम हो रही हो।
दिन के समय भी सुस्ती लगे।
नींद के दौरान सांस रोकते हैं।
यदि खर्राटे की समस्या अधिक हो।
सुबह उठने के बाद आराम ना मिले।
सुबह उठने के साथ सिर में दर्द महसूस हो।
सोते समय आपकी सांस फूलती हो या जागने के बाद आप पसीने से भीगे हुए होते हों।
नोट-लेख में दिए गए सुझाव और टिप्स सिर्फ सामान्य जानकारी के उद्देश्य के लिए हैं और इसे पेशेवर चिकित्सा सलाह के रूप में नहीं लिया जाना चाहिए। किसी भी तरह के सवाल या परेशानी हो तो फौरन अपने डॉक्टर से सलाह करें।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।