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September 25, 2024

उत्तराखंड में पौन घंटे के भीतर भूकंप के दो झटके, बागेश्वर और पिथौरागढ़ में दहली धरती, लोगों में दहशत

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उत्तराखंड में पौन घंटे के भीतर दो भूकंप से धरती दहल उठी। पहले बागेश्वर जिले में और इसके करीब पौन घंटे के बाद पिथौरागढ़ जिले में भूकंप आया। इससे लोग दहशत में आ गए। लोग घरों से बाहर निकल गए। हालांकि कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। भूकंप ऐसे समय आए, जब कुमाऊं में जोरदार बारिश हो रही है। ऐसे में दहशत में लोग बारिश में ही जान बचाने को घरों से भीगते हुए खुले स्थान की तरफ भागे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

सबसे पहले भूकंप बागेश्वर जिले में शनिवार की दोपहर बाद तीन बजकर 47 मिनट 31 सेकेंड पर आया। रिक्टर स्केल में इसकी तीव्रता 3.9 थी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का आक्षांस 30.05 और देशांतर 79.90 था। साथ ही इसका केंद्र जमीन के भीतर करीब दस किलोमीटर था। इससे आसपास के इलाकों में झटके महसूस किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

दूसरा भूकंप पिथौरागढ़ जिले में शनिवार की शाम चार बजकर 34 मिनट तीन सेकेंड पर आया। रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 3.4 थी। नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, भूकंप का आक्षांस 30.02 और देशांतर 80.11 था। साथ ही इसका केंद्र भी जमीन के भीतर करीब दस किलोमीटर था। इसके झटके मुनस्यारी सहित आसपास के इलाकों में महसूस किए गए। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)

ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।

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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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