कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा-सर्विस मतदाताओं को जारी मतपत्रों से हुए मतदान को निरस्त किया जाए
उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी को पत्र लिखकर सेना में सेवारत सैनिकों, सर्विस मतदाताओं को जारी मतपत्रों पर फर्जी मतदान करने का आरोप लगाते हुए ऐसे मतों को निरस्त करवाये जाने की मांग की है।
उपरोक्त जानकारी देते हुए प्रदेश कांग्रेस मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि ने बताया कि मुख्य निर्वाचन अधिकारी को लिखे पत्र में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने कहा है कि निर्वाचन आयोग की ओर से सेना में सेवारत सैनिकों, सर्विस मतदाताओं को डाक मतपत्र जारी करते हुए मतदान की सुविधा प्रदान की जाती है। संज्ञान में आया है कि विभिन्न जिला निर्वाचन अधिकारियों की ओर से निर्गत किये गये सर्विस मतदाताओं के पोस्टल बैलेट की सूची में ऐसे नाम विद्यमान हैं, जो या तो सेवानिवृत्त हो चुके हैं, या लम्बे अवकाश पर हैं अथवा दिवंगत हो चुके हैं।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि उनके पास इस आशय की पुख्ता जानकारी है कि उपरोक्त श्रेणी के मतदाताओं के नाम पोस्टल वैलेट की मतदाता सूची में अंकित हैं। उन्होंने कहा कि पारदर्शी एवं निष्पक्ष चुनाव सम्पन्न कराये जाने की प्रक्रिया स्वरूप यह किया जाना उचित प्रतीत होता है कि यदि उपरोक्त सेवा निवृत्त, लम्बी अवधि के अवकाश पर चल रहे मतदाता तथा मृतक कर्मी सूची में अंकित मतदाताओं के मत पत्र पर किसी भी प्रत्याशी के पक्ष में वोट प्राप्त होता है तो उस वोट को निरस्त माना जाय। साथ ही उस मतदाता को प्रमाणित करने वाले अधिकारी के खिलाफ सक्षम धाराओं में मुकदमा दर्ज कर नियमानुसार कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी को प्रेषित एक अन्य पत्र में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने अवगत कराया कि उत्तराखण्ड प्रदेश में विधानसभा चुनाव की घोषणा के उपरान्त उत्तराखण्ड पॉवर कॉरपोरेशन लि में विभिन्न निर्माण कार्यों हेतु निविदा आमंत्रित की गई थी, जिसकी प्रक्रिया अभी भी गतिमान है। विभाग की ओर से कार्यादेश जारी करने का भी निर्णय लिया गया है, जो कि आदर्श चुनाव आचार संहिता के नियमों के विपरीत है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड प्रदेश में विधानसभा चुनाव की प्रक्रिया अभी समाप्त नहीं हुई है तथा विधानसभा चुनावों के लिए जारी आदर्श चुनाव आचार संहिता के दृष्टिगत ऐसी सभी निविदाओं को निरस्त किया जाय। जो चुनाव आचार संहिता के दौरान जारी की गई हैं तथा संबंधित अधिकारी के खिलाफ निर्वाचन आयोग के नियमों के अन्तर्गत कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।