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June 24, 2025

उत्तराखंड में पाला बदल के दौर में हर दिन चर्चाओं में रहते हैं पूर्व कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर, रात के अंधेरे में मुलाकात के कई मायने

उत्तराखंड में इन दिनों राजनीतिक दलों में पाला बदल का दौर जारी है। ज्यादातर पाला बदलने में वे नेता खुद को ज्यादा सुरक्षित समझते हैं, जो पिछले चुनाव जीते और दोबारा उसी दल से चुनाव जीतने में उन्हें खतरा मंडराता है।

उत्तराखंड में इन दिनों राजनीतिक दलों में पाला बदल का दौर जारी है। ज्यादातर पाला बदलने में वे नेता खुद को ज्यादा सुरक्षित समझते हैं, जो पिछले चुनाव जीते और दोबारा उसी दल से चुनाव जीतने में उन्हें खतरा मंडराता है। वहीं, एक नेता ऐसे हैं, जो पिछला चुनाव हार गए, लेकिन फिर भी उनके दल बदलने को लेकर अक्सर चर्चाएं होने लगती हैं। वो हैं उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय। गाहे बगाहे उनके कांग्रेस छोड़कर भाजपा में जाने की चर्चाएं तेज हो जाती हैं।
किशोर उपाध्याय पुराने कांग्रेसी हैं। वह कभी पूर्व सीएम हरीश रावत के करीबी माने जाते रहे। 2002 और 2007 में वह टिहरी सीट से विधायक चुने गए थे, लेकिन 2012 में दिनेश धनै के हाथों उन्‍हें हार का समाना करना पड़ा। इसके बाद वर्ष 2017 में उन्हें सहसपुर से टिकट दिया गया। उनके सामने उन्हीं की पार्टी के बागी अर्येंद्र शर्मा निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में उन्हें चुनौती दी और वह यहां से चुनाव हार गए। आर्येंद्र शर्मा भी हरीश रावत के करीबी माने जाते रहे। ऐसे में किशोर के मन में एक टीस उठनी स्वाभाविक है कि उन्हें जानबूझकर टिहरी की बजाय सहसपुर से चुनाव लड़ाया गया। कई बार वह अपनी पीड़ा उजागर कर चुके हैं और हरीश रावत पर टिप्पणियां करने से भी नहीं चूके। अब उनकी भाजपा में जाने की बात बार बार उठ रही है।
रात के अंधेरे में मिले भाजपा नेताओं से
विधानसभा चुनाव के मौके पर प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय के रात के अंधेरे में भाजपा प्रदेश संगठन महामंत्री और चुनाव प्रभारी से मुलाकात ने राजनीति को गर्मा दिया है। इससे कांग्रेस भी असहज नजर आ रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने ऐसी किसी संभावना से इन्कार किया। उन्होंने कहा कि किशोर उपाध्याय भाजपा जैसी सांप्रदायिक पार्टी में जाएंगे, ऐसा नहीं लगता।
प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष किशोर उपाध्याय ने बीती रात्रि भाजपा के प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार से उनके फ्लैट में मुलाकात की थी। इस मौके पर वहां केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा के चुनाव प्रभारी प्रल्हाद जोशी भी मौजूद थे। इस मुलाकात के बाद किशोर उपाध्याय के भाजपा में जाने की अटकलें तेज हो गईं थीं। दरअसल, किशोर बीते दिनों भाजपा राष्ट्रीय मीडिया प्रमुख व राज्यसभा सदस्य अनिल बलूनी से मुलाकात कर चुके हैं। भाजपा नेताओं के साथ उनकी मुलाकात के बाद उनके कांग्रेस छोड़ने की चर्चा शुरू हो जाती है।
हालांकि, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय भाजपा में जाने की चर्चा को अफवाह करार दे चुके हैं। बीते रोज बयान जारी कर उन्होंने कहा था कि वह वनाधिकार आंदोलन पर सबका सहयोग लेने में जुटे हैं। इस संबंध में उन्हें किसी भी राजनीतिक दल के साथ बातचीत में गुरेज नहीं है। वह उत्तराखंड के सरोकारों से जुड़े मुद्दों को लेकर मुहिम चला रहे हैं। किशोर के इस स्पष्टीकरण के बावजूद कांग्रेस खुद को असहज पा रही है तो इसकी वजह भी है।
किशोर की मुलाकात भाजपा संगठन के प्रतिनिधियों से हुई है। संगठन के कोर ग्रुप में शामिल नेताओं से दिन के बजाय रात्रि में हुई मुलाकात ने प्रदेश का राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। दरअसल भाजपा और कांग्रेस, दोनों ही दलों में चुनाव के मौके पर एक-दूसरे के दिग्गज नेताओं को अपने पाले में लाने की होड़ लगी है। इस संबंध में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल का कहना है कि पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के विचारों में पार्टी की नीतियां कूट-कूट कर भरी हुई हैं। साथ ही उनका दृष्टिकोण भी सभी व्यक्तियों को समभाव से देखने का है। ऐसे में वह भाजपा जैसी सांप्रदायिक पार्टी को ज्वाइन करेंगे, उन्हें विश्वास नहीं है। यही नहीं उन्होंने किशोर उपाध्याय के इस संबंध में दिए गए बयान का हवाला भी दिया।
डील होनी बाकी है
हालांकि किशोर उपाध्याय ने पिछले दिनों ही बीजेपी में जाने की बात को नकारा था। आमतौर पर राजनेता इसी तरह के बयान जारी करते हैं। उपाध्याय ने कहा कि वह वन अधिकार आंदोलन पर हर किसी का सहयोग ले रहे हैं और इसे में किसी राजनीतिक दल से बातचीत करने से नहीं हिचक नहीं है। वह उत्तराखंड की चिंताओं से जुड़े मुद्दों के लिए नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं।  चुनावी साल में किशोर उपाध्याय की सक्रियता और बीजेपी नेताओं के साथ बैठक कई तरह के सवाल उठा रही है। क्या फाइनल डील अभी तक हुई या नहीं।
पीएम की रैली में शामिल होने की थी चर्चा
दरअसल पिछले दिनों पीएम मोदी की देहरादून में रैली के दौरान किशोर उपाध्याय के शामिल होने की चर्चा थी। उस वक्त वह रैली में शामिल नहीं हुए। बताया जा रहा है कि किशोर अपने साथ ही कुछ करीबी नेताओं के लिए टिकट चाहते हैं। जिसको लेकर पार्टी तैयार नहीं है। किशोर को टिकट देने या पद देने में पार्टी को गुरेज नहीं है। लेकिन किशोर उपाध्याय के समर्थकों को टिकट देने के कारण स्थानीय स्तर पर पैदा होने वाले हालात को लेकर पार्टी को कोई फैसला नहीं किया है।

Bhanu Bangwal

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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।

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