प्रदेश की मूलभूत समस्याओं को लेकर लोगों को एकजुट करेगा यूकेडी का बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ, शिक्षण संस्थाओं को बर्बाद करने का आरोप
पूर्व विधायक डॉ. नारायण सिंह जंतवाल ने बैठक की अध्यक्षता करते हुए कहा कि हमें उत्तराखंड की मूलभूत समस्याओं को जनता के बीच में ले जाना होगा। यूकेडी ने वर्षो सघर्ष कर पृथक राज्य उत्तराखंड का निर्माण कराया। आज यहां की जनता पुनः यूकेडी की ओर देख रही है। जनता को अब धीरे धीरे समझ मे आ रहा है कि राष्ट्रीय पार्टियों द्वारा राज्य का कोई विकास नहीं किया गया है।अपितु विनाश ही किया। हमारे राज्य से कम साक्षर झारखंड की जनता ने तो पहले ही समझ लिया था कि राज्य का विकास राज्य की पार्टी ही कर सकती है। उन्हें अपने राज्य के बारे ने सब पता होता है। कोई दिल्ली में बैठकर राज्य का विकास नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि जिन राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियों की सरकार है, वो राज्य तेज़ी से तरक्की कर रहे है। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं यूकेडी के वरिष्ठ नेता बीपी रतूड़ी जी ने कहा कि हमें जनता के बीच मे जाकर समझाना होगा कि इन पार्टियों के झूठे वादों, जैसे- फ्री बिजली, फ्री लैपटॉप आदि के चक्करों न पड़कर बेरोजगारी, शिक्षा, चिकित्सा और भू कानून के बारे में बात करें। यूकेडी के वरिष्ठ नेता चंद्रशेखर कापड़ी ने पार्टी के इतिहास के बारे में विस्तृत जानकारी दी। कहा कि हमें एकजुट होकर उत्तराखंड को बचाना होगा। आज पहाड़ पहाड़ी लोगों के लिये तरस रहा है बाहर से आकर लोग पहाड़ का पहाड़ खरीद रहे है इसे रोकने की बहुत जरूरत है।
उत्तराखंड क्रांति दल के बुद्धिजीवी प्रकोष्ठ के अध्यक्ष डॉ हरीश चंद्र जोशी ने वर्तमान सरकार द्वारा गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय, पंतनगर को केंद्र सरकार को सौंपने की तैयारी को गलत कदम बताया। उन्होंने कहा कि बीजीपी नीत पूर्व सरकार ने राज्य के प्रतिष्ठित हेमवतीनंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय को भी केंद्र को सौंपा था। जहां पर राज्य के छात्रों को मिलने वाला आरक्षण अब राज्य का न होकर केंद्र का लग रहा है। इसमें स्थानीय छात्रों का एडमिशन कम हो गया है। ऐसी स्थिति शिक्षक एवं कर्मचारियों की नियुक्ति में भी हो रही है। अब वर्तमान सरकार एक और प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय को बिना सोचे समझे केंद्र को दे रही, जिसका यूकेडी पुरजोर विरोध करेंगी।
बैठक में यूकेडी महासचिव बहादुर सिंह रावत, डॉ संजय कुमार पडलिया, डॉ मेहरबान सिंह गुसांई, प्रो बीएस बिष्ट, डॉ संदीप नेगी, डॉ हर्षवर्धन पंत, डॉ महेश कुमार, लखपत सिंह बुटोला, योगेंद्र बाजपेई, चंद्रशेखर पंत, डीडी शर्मा, अनूप पंवार और शेखर सनवाल ने भी अपने विचार व्यक्त किए।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।