अभी खत्म नहीं हुआ आतंक, पिंजरे में कैद होने के बाद गांव में दिखा दूसरा गुलदार, एक युवक और गाय बन चुके हैं शिकार
उत्तराखंड के पौड़ी जिले में बीरौंखाल ब्लॉक में गुलदार का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। यहां एक आदमखोर 28 जून को पिंजरे में कैद हो गया था। इसके अगले ही दिन फिर से गांव के आसपास दूसरा गुलदार नजर आने लगा।

गौरतलब है कि बीरौंखाल ब्लॉक के बमराड़ी ग्राम सभा के अंतर्गत ग्राम भैंसोड़ा सावली निवासी 38 वर्षीय युवक दिनेश चंद्र पुत्र रामलाल गांव के निकट जंगल में गुलदार ने मंगलवार 22 जून की सुबह मार डाला था। इस युवक की हत्या के अगले दिन ही 23 जून की सुबह इसी गांव से कुछ दूर ग्राम सभा सीला तल्ला के दिवोली गांव मे गुलदार ने एक गाय को निवाला बना दिया था। इस पर वन विभाग ने 24 जून को भैंसोड़ा सावली गांव में उस स्थान पर पिंजरा लगा दिया, जहां युवक को गुलदार ने मारा था।
इसी गांव के जंगल में जहां पिंजरा लगा था, वह एरिया समीप के गांव मागरौ है की सीमा पर है। पिंजरे से कुछ नीचे की तरफ मागरौ गांव निवासी मुन्ना बकरी चरा कर घर की तरफ लौट रहे थे। तभी घात लगाए बैठे गुलदार ने एक बकरी को दबोच लिया। इस पर मुन्ना हाथ में लिए डंडे के बल पर ही गुलदार से भिड़ गए। इस युद्ध में गुलदार को बकरी को छोड़कर जंगल की ओर भागना पड़ था।
इस घटना के बाद गुलदार के पिंजरे की जगह बदली गई। पिंजरा उस स्थान पर लगाया गया जहां उसने बकरी पर हमला किया था। साथ ही गुलदार को फांसने के लिए पिंजरे में बकरी को भी रखा गया। 28 जून की सुबह गुलदार पिंजरे में कैद हो गया। उसने पिंजरे में बकरी को नुकसान नहीं पहुंचाया।
अब एक ओर गुलदार गांव में नजर आने लगा है। ग्रामीण नरेश चंद्र ढौंडियाल के मुताबिक भैंसोड़ा गांव की सीमा में ग्रामीणों गुलदार को विचरण करते देखा। साथ ही सीला मला के डांडा गांव के पास भी गुलदार नजर आया। इससे ग्रामीणों में फिर से दहशत का माहौल है। उन्होंने कहा कि वन विभाग को इस मामले में ध्यान देना होगा। साथ ही इस गुलदार को पकड़ने के लिए पिंजरा लगाने की जरूरत है।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।
जंगलौ मे बाघ/ गुलदार हमेशा से ही देखे जाते हैं, बस यह न हो कि वह नरभक्क्षी हो. बाकी आजतक बाघ ने कोई नुकसान नहीं किया सिवाय 22 ता की घटना के