युवा कवि सुरेंद्र प्रजापति की कविता- तुम आत्महत्या करोगे
तुम आत्महत्या करोगे
संकट गहरा रहा है
दुराकाश में
हिंसक पक्षियों का दल आ रहा है
क्षितिज पर
षड्यंत्र का सूरज निकला है
किरणों से कुतर्कों, अमंगल शब्दों का
बयान आ रहा है
टुकड़े में बंटे खेत का अस्तित्व
अब मिट रहा है धरती से
काले, कोट-पैंट में लुटेरे
कॉर्पोरेट का कर रहा है शिलान्यास
सौंपने होंगे अब पुरखों के ऊर्बर जमीन
कोई जरूरी नहीं कि उसमें
तुम्हारी इच्छा स्वतंत्र हो
तुम्हारे इच्छाओं के विरुद्ध
तुम्हारे सपने को करता चूर-चूर
कॉर्पोरेट अपना घराना बनाएगा
तुम्हारा जमीन छीना जाएगा
बनेगा राजमार्ग राजधानी तक
क्या करोगे तुम
लरजकर हाथ बांधे खड़े रहोगे
होरी बनकर
कितने कितने त्रासदी को झेलोगे
अंततः शहरों में जाओगे
मॉल, कारखानों में काम करोगे
दिहाड़ी मजदूर बनकर
या सभ्रांत घरों में चाकरी करोगे
नौकर बनकर
जुर्म की दुनिया में
काम करने के लिए
कभी भर्ती बंद नहीं हुआ है
हो सकता है आतंक का पर्याय बनो
और बावजूद इसके
जब भी भीड़ नहीं जुटा सको
अपने हक-अधिकार के लिए
कुछ भी बोलना न चाहो
कायरों की तरह
न याचना करना,
न रोना-गिड़गिड़ाना
न तड़पना
न बरसना
एक मार्ग काल के फलक पर
बेह्याही के साथ
तुम्हारे हृदय को मथेगा
तुम आत्महत्या करोगे
“क्या कहा….”?
यह आसान सा विकल्प है
जिंदगी से पीछा छुड़ाने का
लेकिन एक बात समझना जरूरी है, भाई
तुम तो मुसीबतों से बच जाओगे
लेकिन आनेवाली,
तुम्हारी पीढ़ियों का दिन
और भी भयावह हो सकता है
और भी बदतर….
फिर बीज बोने बाला हाथ
सिर्फ अपनी सुरक्षा के लिए
नर्क का निर्माण करेगा
कवि का परिचय
नाम-सुरेन्द्र प्रजापति
पता -गाँव असनी, पोस्ट-बलिया, थाना-गुरारू
तहसील टेकारी,जिला गया, बिहार।
मोबाइल न० 6261821603, 9006248245
शिक्षा – मैट्रिक
मैं, सुरेन्द्र प्रजापति बचपन से साहित्यिक पुस्तक पढ़ने का शौकीन हूँ। पाँचवी पास कर मैं पढ़ाई को छोड़ चुका था, लेकिन अपने स्वभाव के अनुसार, कहानी, लेख उपन्यास के पठन पाठन में मेरी रुचि जोर पकड़ती रही। लेखन कब शुरू कर दिया पता नही चला। फिर तो लगातार लिखना शुरू कर दिया। मेरे लिखे कविता, लेख, कहानी को मेरे दोस्त पढ़ते और उत्साहित करते। कई वर्षों बाद मैं मैट्रिक किया। लिखने का सिलसिला लगातार चलता रहा। अभी तक किसी भी साहित्यिक उपलब्धि से वंचित। कुछ पत्र-पत्रिकाओं एवं बेव पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित।
एक कहानियों का संग्रह सूरज क्षितिज में प्रकाशित।
सम्प्रति:- एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ मिशन में स्वास्थ्य सलाहकार।
लोकसाक्ष्य पोर्टल पाठकों के सहयोग से चलाया जा रहा है। इसमें लेख, रचनाएं आमंत्रित हैं। शर्त है कि आपकी भेजी सामग्री पहले किसी सोशल मीडिया में न लगी हो। आप विज्ञापन व अन्य आर्थिक सहयोग भी कर सकते हैं।
वाट्सएप नंबर-9412055165
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।