युवा कवि सुरेंद्र प्रजापति की तीन कविताएं-स्मृतियां, तुम्हारा स्पर्श, नींद
स्मृतियाँ
स्मृतियों के पटल पर
उग आए हैं, वर्तमान की
चहकती इच्छाओं के गाछ
अंकित हो गए हैं
स्वप्निल इबारतें
दर्ज होते हैं, कुछ अनजाने
कुछ अस्पष्ट पद्चाप
पाषाणी पत्थरों में छिपा है
अतीत के धुंधले चलचित्र
कुछ आहटें, मर्मर सा स्वर,
कुछ संताप
वे वहाँ शोर उतपन्न करती है
आगत सहयात्री की प्रतीक्षा में
आत्मीय संवाद से अनजान
एक महल का प्रकोष्ठ
धीरे-धीरे नष्ट होता रहता है
तुम्हारा स्पर्श
तुम्हारा स्पर्श
मिट्टी के सोंधी महक में लिपटी,
कागज पर उतरती है;
और तब एक कविता
दुब के साथ उपजती है।
फिर शब्द-शब्द-
प्रतीक्षा में निमग्न होकर
जब पढा जाता है,
जीवन की तरह
तब जाकर प्रेम उपजता है।
नदी, जंगल, पहाड़ से,
धरती का सौंदर्य महकता है।
नींद
दिनभर
पीड़ा और थकान से
बेसुध लड़की
जानना चाहती है, स्वयं को
अपने नीले संसार का
आश्चर्यजनक विस्तार
कुछ रोना चाहती है
ताकि अपनी पीड़ाओं को
कुछ कम कर सके
रात्रि के सघन अंधेरे में
जल्द ही पहुंचना चाहती है
विस्तर में बुलाती है नींद
सपनों को फुसलाती है
आओ मेरी हसीन ख्वाबों
मेरे बदबूदार शरीर में
समा जाओ
ताकि देख सकूँ कुछ
खुशबूदार हरियाली….
किस्से-कहानियों के जंगल में
और सदा के लिए
गुम हो जाऊं
उसके छायादार वृक्षों में
कवि का परिचय
नाम-सुरेन्द्र प्रजापति
पता -गाँव असनी, पोस्ट-बलिया, थाना-गुरारू
तहसील टेकारी,जिला गया, बिहार।
मोबाइल न० 6261821603, 9006248245
शिक्षा – मैट्रिक
मैं, सुरेन्द्र प्रजापति बचपन से साहित्यिक पुस्तक पढ़ने का शौकीन हूँ। पाँचवी पास कर मैं पढ़ाई को छोड़ चुका था, लेकिन अपने स्वभाव के अनुसार, कहानी, लेख उपन्यास के पठन पाठन में मेरी रुचि जोर पकड़ती रही। लेखन कब शुरू कर दिया पता नही चला। फिर तो लगातार लिखना शुरू कर दिया। मेरे लिखे कविता, लेख, कहानी को मेरे दोस्त पढ़ते और उत्साहित करते। कई वर्षों बाद मैं मैट्रिक किया। लिखने का सिलसिला लगातार चलता रहा। अभी तक किसी भी साहित्यिक उपलब्धि से वंचित। कुछ पत्र-पत्रिकाओं एवं बेव पत्रिकाओं में कविताएँ प्रकाशित।
एक कहानियों का संग्रह सूरज क्षितिज में प्रकाशित।
सम्प्रति:- एक अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ मिशन में स्वास्थ्य सलाहकार।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।