ग्राम सभा सदस्य पद पर चुनाव लड़ने के लिए अब लोगों का मोह हो रहा भंग, कांग्रेस ने जताई चिंता, चुनाव आयोग से लगाई गुहार

वर्तमान में उत्तराखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव को लेकर चुनावी प्रक्रिया चल रही है। राज्य में शनिवार को चुनावलों के लिए नामांकन की प्रक्रिया भी पूरी हो चुकी है। उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने ग्राम सभा सदस्य के लिए बहुत कम नामांकन होने पर चिंता जताई। साथ ही राज्य चुनाव आयोग को इस संदर्भ में पत्र भी लिखा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
करन माहरा ने कहा कि मेरी जानकारी के अनुसार ग्राम सभा सदस्य पद के लिए अत्यंत कम नामांकन हुए हैं। इससे बड़ी संख्या में पद रिक्त रहने की आशंका है। उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत सदस्य के 55587 पदों के सापेक्ष बहुत कम नामांकन होना ये दर्शाता है कि सरकार की कार्यप्रणाली से लोग संतुष्ट नहीं हैं। साथ ही पंचायत चुनावों को लेकर आमजन में भारी उदासीनता व्याप्त है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि ग्राम पंचायत सदस्य के अनेक पद रिक्त रहने की स्थिति में संवैधानिक संकट उत्पन्न हो सकता है। साथ ही ग्राम सभाओं के गठन में बाधा आ सकती है। यह अत्यंत गंभीर विषय है। सरकार को समय रहते इस पर सजग हो जाना चाहिए था। यह स्थिति स्पष्ट रूप से दर्शाती है कि भाजपा की धामी सरकार के प्रति ग्राम सभाओं में जनता का विश्वास डगमगाया है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उत्तराखंड कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार ने साज़िश के तहत छह महीने तक पंचायतों में प्रशासक नियुक्त किए। ताकि निकाय चुनाव और पंचायत चुनावों के बीच इतना अंतर उत्पन्न हो सके कि भाजपा निकाय मतदाताओं के माध्यम से त्रिस्तरीय पंचायत व्यवस्था को प्रभावित कर सके। साथ ही छह माह की निर्धारित अवधि पूर्ण की जा सके। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने यह भी बताया कि सितंबर 2019 के एक सरकारी आदेश को दिसंबर 2019 में संशोधित किया गया था। इसमें स्पष्ट किया गया था कि यदि कोई व्यक्ति निकाय की मतदाता सूची में नाम होने के बावजूद अपना नाम ग्राम सभा में दर्ज कराता है और बिना नाम कटवाए चुनाव लड़ता है, तो उसे अयोग्य घोषित किया जाएगा। ऐसे स्पष्ट दिशा-निर्देश आज तक राज्य सरकार या राज्य निर्वाचन आयोग की ओर से जारी नहीं किए गए हैं, जो अत्यंत चिंताजनक है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
उन्होंने कहा कि अब प्रश्न यह उठता है कि राज्य सरकार आगामी समय में कौन सा नया षड्यंत्र रचने जा रही है। उन्होंने बताया कि उत्तराखंड कांग्रेस ने राज्य निर्वाचन आयोग को पत्र लिखकर मांग की है कि सितंबर 2019 के आदेश के स्थान पर दिसंबर 2019 में जारी संशोधित आदेश को तत्काल प्रभाव से लागू किया जाए।
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Bhanu Bangwal
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।