सुबह उत्तराखंड का उत्तरकाशी तो शाम को हिमाचल प्रदेश भूकंप से दहला
शनिवार के दिन उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सुबह भूकंप के झटके महसूस किए गए तो रात को सीमावर्ती राज्य हिमाचल प्रदेश के कई इलाके भूकंप से दहल उठे। हिमाचल में आए भूकंप की तीव्रता भी 4.2 थी। इससे लोग सहम गए और घरों से बाहर निकल आए। नेशनल सेंटर ऑफ सिस्मोलॉजी के अनुसार, रात करीब 8.22 बजे आए भूकंप का केंद्र कांगड़ा की करेरी लेक रही। भूकंप से जान माल के नुकसान की कोई खबर तो नहीं है, लेकिन तेज झटकों के चलते लोग दहशत से घरों से बाहर निकल आए। भूकंप का केंद्र कनेरी में 10 किलोमीटर की गहराई में था। मालूम हो कि उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर के कुछ इलाकों को भूकंप के लिहाज से काफी संवेदनशील माना जाता है। इन राज्यों के पहाड़ी इलाकों में अक्सर भूकंप आते रहते हैं। हाल के दिनों में हिमाचल प्रदेश में भूकंप के कई झटके महसूस किए गए हैं। हिमाचल प्रदेश हाई सिस्मिक जोन में आता है और राज्य के इलाकों में अक्सर हल्की तीव्रता के भूकंप आते रहते हैं, लेकिन इस बार कांगड़ा में आए भूकंप की तीव्रता ज्यादा रही है।
उत्तराखंड में भी दूसरे दिन भी लगातार शनिवार नौ जनवरी को धरती डोली और उत्तरकाशी जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए। इससे पहले आठ जनवरी को बागेश्वर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। हालांकि आज भी कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। भूकंप आज सुबह 11 बजकर 27 मिनट पर आया। इसका केंद्र उत्तरकाशी जिले में भटवाड़ी ब्लॉक के गोरशाली गांव में जमीन से करीब दस किलोमीटर भीतर था। रिक्टर स्कैल में इसकी तीव्रता 3.3 आंकी गई है। भूकंप के झटके महसूस होने के बाद लोग घरों से निकल गए। दो दिन में दो भूकंप आने से लोगों में दहशत भी है।
शुक्रवार को भी आया था भूकंप
शुक्रवार को आठ जनवरी की सुबह सुबह 10 बजकर पांच मिनट पर उत्तराखंड के बागेश्वर जिले में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। इसका केंद्र बागेश्वर में जमीन के भीतर दस किलोमीटर था। वहीं रिक्टर स्कैल पर इसकी तीव्रता 3.3 आंकी गई है। बताया जा रहा है कि करीब 15 सेकंड तक लोगों ने भूकंप के झटके महसूस किए। फिलहाल दोनो भूकंप से कहीं किसी नुकसान की सूचना नहीं है। उत्तराखंड के पिथौरागढ़, उत्तरकाशी, चमोली जिले में अमूमन भूकंप आते रहते हैं।
उत्तराखंड संवेदनशील
भूकंप की दृष्टि से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। राज्य के अति संवेदनशील जोन पांच की बात करें इसमें रुद्रप्रयाग (अधिकांश भाग), बागेश्वर, पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिले आते हैं। ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, हरिद्वार, पौड़ी व अल्मोड़ा जोन चार में हैं और देहरादून व टिहरी दोनों जोन में आते हैं।
उत्तराखंड में आ चुके हैं दो बड़े भूकंप
उत्तराखंड के उत्तरकाशी और चमोली जिले में दो बड़े भूकंप आ चुके हैं। इससे भूकंप के हलके झटके से ही लोग दहशत में आ जाते हैं। उत्तरकाशी में 20 अक्टूबर 1991 को 6.6 तीव्रता का भूकंप आया था। उस समय हजारों लोग मारे गए थे। साथ ही संपत्ति को भी अत्यधिक क्षति हुई थी। इसके बाद 29 मार्च 1999 में चमोली जिले में उत्तराखंड का दूसरा बड़ा भूकंप आया। भारत के उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखंड) राज्य में आया यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों का सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इस भूकंप में 103 लोग मारे गए थे।
ये हैं भूकंप के कारण
भू-वैज्ञानिकों के मुताबिक पिछले चार सालों में मेन सेंट्रल थ्रस्ट पर 71 से ज्यादा बार भूकंप के झटके आ चुके हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह क्षेत्र कितना सक्रिय है। उनका कहना है कि छोटे-छोटे भूकंप के झटके बड़े झटकों की संभावनाओं को रोक देते है। मेन सेंट्रल थ्रस्ट के रूप में जाने जानी वाली दरार 2500 किमी लंबी और कई भागों में विभाजित है। इंडियन और एशियन प्लेट के बीच दबाव टकराने और घर्षण से भूकंप की घटना होती है।
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भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।