विभिन्न राजनीतिक दलों और जनसंगठनों का ऐलान, 500 से ज्यादा घरों पर बुलडोजर के खिलाफ होगा कैबिनेट मंत्री के आवास पर प्रदर्शन

विभिन्न राजनीतिक दलों और जनसंगठनों ने उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में जिला प्रशासन की ओर से 504 घरों पर बुलडोजर अभियान के खिलाफ एक बैठक आयोजित की। इसमें तय किया गया कि छह जून को शहरी विकास मंत्री के आवास के समक्ष प्रदर्शन किया जाएगा। इसके अलावा आज ही जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्य सचिव को ज्ञापन भी भेजा गया। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
गौरतलब है कि देहरादून में रिस्पना नदी किनारे रिवर फ्रंट योजना की तैयारी है। ये भवन नगर निगम की जमीन के साथ ही मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण की जमीन पर हैं। देहरादून में रिस्पना नदी के किनारे वर्ष 2016 के बाद 27 मलिन बस्तियों में बने 504 मकानों को नगर निगम, एसडीडीए और मसूरी नगर पालिका ने नोटिस जारी किए थे। इसके बाद सोमवार 27 मई को मकानों को तोड़ने की कार्रवाई शुरू की गई। 504 नोटिस में से मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण ने 403, देहरादून नगर निगम ने 89 और मसूरी नगर पालिक ने 14 नोटिस भेजे थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
नगर निगम की सीमा में बने मकानों में 15 लोगों ने ही अपने साल 2016 से पहले के निवास के साक्ष्य दिए हैं। 74 लोग कोई साक्ष्य नहीं दिखा पाए हैं। उन सभी 74 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। अधिकांश लोगों ने नोटिस के बाद अपने अतिक्रमण खुद ही हटा लिए थे। जिन्होंने नहीं हटाए थे, उनको अभियान के तहत हटाया जा रहा है। इस अभियान के खिलाफ विभिन्न विभिन्न विपक्षी राजनीतिक दलों के साथ ही सामाजिक संगठनों की ओर से धरने और प्रदर्शन आयोजित किए जा रहे हैं। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
शहरी विकास मंत्री के आवास पर छह जून को होगा प्रदर्शन
इसी कड़ी में आज समाजवादी पार्टी कार्यालय में आयोजित विभिन्न दलों और संगठनों की बैठक ने निर्णय लिया कि बस्तियों के खिलाफ अतिक्रमण के नाम पर तोड़फोड के खिलाफ तथा सभी बस्तियों के नियमतीकरण के लिये कानून लेने की मांग को लेकर क 6 जून को 12 बजे शहर विकास मन्त्री के आवास पर प्रदर्शन किया जाएगा। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
वहीं, प्रतिनिधि मण्डल ने अतिरिक्त जिलाधिकारी प्रशासन से भेंटकर उन्हें बस्तियों में नगरनिगम एवं एमडीडीए की ओर से की जा रही गैरकानूनी ध्वस्तीकरण कार्यवाही रोकने की मांग को लेकर एक ज्ञापन सौंपा। ये ज्ञापन मुख्य सचिव को प्रेषित किया गया। राजनैतिक दलों सामाजिक संगठनों ने भाजपा सरकार की कार्यवाही की निन्दा करते हुऐ सरकार से मांग कि है वह अपने वायदे के अनुसार बस्तियों के नियमतीकरण के लिये कानून लाये। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
बैठक में शामिल होने और ज्ञापन देने वालों में सपा के राष्ट्रीय महासचिव डा. एस एन सचान, गंगाधर नौटियाल, ,सर्वोदय मण्डल से हरवीर कुशवाहा, सीपीआईएम से राजेन्द्र पुरोहित, अनन्त आकाश के साथ ही अन्य संगठनों से एसएस रजवार, शंकर गोपाल, नवनीत गुंसाई, अतुल शर्मा, ज्ञानचंद यादव, हेमा वोरा, अरूण सोनकर, हिमांशु चौहान, सुरेश यादव, चिन्तन सकलानी, आजाद चौधरी, विनोद बडोनी, मुकेश उनियाल आदि शामिल थे। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये दिया गया तर्क
-2016 से पहले बसे लोगों की सम्पति को क़ानूनी सुरक्षा मिला है। लोगों के साक्ष्यों पर मनमानी आपत्तियां की जा रही हैं। कांठ बांग्ला बस्ती के लोगों के बिजली बिलों को नहीं लिया जा रहा है। इसके लिए यह तर्क दिया जा रहा है कि उस पर “कांठ बांग्ला बस्ती” लिखा हुआ है, जबकि MDDA के समस्त कर्मचारियों को पता है कि कांठ बांग्ला बस्ती तरला नागल में ही पड़ती है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
-कुछ लोगों के पास नगर निगम की हाउस टैक्स रसीद है। इसमें स्पष्ट रूप से दिखाया जा रहा है कि 2020 तक पांच साल का टैक्स लिया गया है, लेकिन उनको भी कहा जा रहा है कि यह सबूत नहीं है। आवेदकों को बार बार अन्य विभागों में भेजा जा रहा है, जबकि कागज़ से ही स्पष्ट है कि प्रभावित लोग 2016 से पहले रह रहे हैं। दैनिक दिहाड़ी मज़दूरी से कमानेवाले परिवारों को इस रूप में अनावश्यक परेशान करना बेज़रूरत और जन विरोधी है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– लोगों को अपना साक्ष्य पेश करने के लिए मात्र दो से छह दिन तक का समय दिया गया है। MDDA की और से जारी किया गया नोटिसों के ऊपर 22 तारीख अंकित है, जबकि हकीकत में 22 तारीख को यह नोटिस पहुंचा नहीं, यहाँ तक कि कुछ लोगों को 27 और 28 को ही नोटिस मिला है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– यह बेदखली की प्रक्रिया कौन सी क़ानूनी प्रावधान के तहत की जा रही है। इसका ज़िक्र कहीं नहीं है। हरित प्राधिकरण के आदेश में भी स्पष्ट है कि बेदखली कानून के अनुसार किया जायेगा। चल रही प्रक्रिया में मौजूदा कानून यानी UP पब्लिक प्रेमिसेस (एविक्शन ऑफ़ अनऑथोराइज़्ड ऑक्यूपेशन) अधिनियम का घोर उल्लंघन हो रहा है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
– उच्चतम न्यायालय के अनेक फैसलों के अनुसार बिना पुनर्वास का व्यवस्था कर किसी को बेघर करना संविधान के खिलाफ है। इस अभियान के दौरान ऐसे कोई व्यवस्था नहीं दिख रहा है।
– राष्ट्रीय हारीत प्राधिकरण के आदेश का उल्लंघन करते हुए सिर्फ और सिर्फ मज़दूर बस्तियों पर कार्रवाई की जा रही है। बिल्डरों, होटलों और सरकारी विभाग द्वारा किये गए अतिक्रमणों पर कार्यवाही नहीं हो रही है। (खबर जारी, अगले पैरे में देखिए)
ये की गई हैं मांग
– कर्मचारियों को निर्देशित किया जाए कि किसी भी साक्ष्य या दस्तावेज को वे लें, अगर कोई भी साक्ष्य है, जिससे पता चलता है कि लोग 2016 से पहले बसे हैं, तो प्रभावित परिवार का नाम को अवैध अतिक्रमण की सूची से हटाया जाये।
– किसी को भी बेदखल करने से पहले क़ानूनी प्रक्रिया को पूरा करे। साक्ष्य पेश करने के लिए कम से कम तीस दिन का समय दिया जाये और हर व्यक्ति की सुनवाई हो।
– बेदखल करने से पहले कानून और उच्चतम न्यायलय के फैसलों के अनुसार नियमितीकरण और पुनर्वास के लिए कदम उठाया जाये।
– कार्यवाही पूरी तरह से निष्पक्ष हो और बेदखली की कार्यवाही बड़े इमारतों एवं प्रतिष्ठानों से शुरू करें।
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भानु बंगवाल
मेल आईडी-bhanubangwal@gmail.com
भानु बंगवाल, देहरादून, उत्तराखंड।